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दिल्ली में हुई पूर्व फौजी राम किशन ग्रेवाल की मौत के बाद सियासत खूब हो रही है. कांग्रेस और आप ने इस मुद्दे को पूरी तरह से राजनीतिक रंग दे दिया है. परिजनों से मिलने को लेकर हुए विवाद में दिल्ली पुलिस ने अरविन्द केजरीवाल और राहुल गाँधी को गिरफ्तार कर लिया था. राहुल गाँधी और केजरीवाल दोनों नेताओं ने बीजेपी और सवाल उठाये और दिल्ली पुलिस द्वारा गिरफ़्तारी को साजिश कहा.
पूर्व सैनिक राम किशन ग्रेवाल ने OROP को लेकर धरना शुरू किया था. उसके बाद उन्होंने जहर खाकर आत्महत्या कर ली थी. लेकिन इस पूर्व सैनिक की मौत ने राजनीतिक दलों को सियासत करने का एक और मौका दे दिया. सेना के एक पूर्व अधिकारी ने दिल्ली के सीएम को जवाब दिया है.
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केजरीवाल ने लगाया आरोप- मोदी सरकार ने नहीं लागु किया OROP:
- अरविन्द केजरीवाल ने इस मुद्दे पर आक्रामक रुख अपनाया.
- उन्होंने केंद्र की मोदी सरकार को आड़े हाथों लिया.
- उन्होंने कहा कि पीएम कहते हैं कि सेना का सम्मान करना चाहिए.
- लेकिन सैनिकों को OROP के तहत पेंशन नही दे रहे हैं.
- मोदी सरकार ने केवल प्रचार किया स्कीम को लागू नही किया.
- ये मोदी सरकार और OROP को लेकरगंभीर आरोप था.
पूर्व सैनिकों ने केजरीवाल के दावे को साबित किया झूठा:
हालाँकि ऐसा नही है कि OROP लागू नही हुआ. लेकिन इस पर राजनीति शुरू हुई तो पूर्व सैनिकों ने सरकार का साथ दिया. सेना के रिटायर्ड कर्नल विक्रम ने OROP की सच्चाई बताई है.
कर्नल विक्रम ने किया OROP के सच का खुलासा:
- कर्नल विक्रम ने अरविन्द केजरीवाल के दावे को पूरी तरह झूठ और साजिश बताया.
- उन्होंने कहा कि 1971 की लड़ाई के बाद सेना के साथ बहुत भेदभाव किया गया.
- सेना की पेंशन को कम कर दिया गया.
- सैनिक अपने आप को उस वक्त ठगा हुआ महसूस कर रहे थे.
- अब जबकि मोदी सरकार ने 40 साल के बाद स्कीम शुरू की है तो इसपर कुछ नेता राजनीति कर रहे हैं.
- अरविन्द केजरीवाल को दिल्ली में काम-काम पर ध्यान देना चाहिए.
- जनता ने इतना बड़ा बहुमत दिया है तो दिल्ली में विकास का काम करना चाहिए.
- लेकिन वो एक फौजी की मौत पर किस प्रकार राजनीति करने पर उतारू हो गए हैं.
- ये सैनिकों और उनके परिवार वालों के लिए बुरा स्वप्न है.
- जो सैनिक जिन्दा रहते देश की सेवा किया, उसकी मौत पर भी कुछ नेता राजनीति कर रहे हैं.
- इसके साथ ही उन्होंने मनोहर पर्रीकर को धन्यवाद दिया.
- उन्होंने कहा कि पर्रीकर ने रक्षा मंत्री रहते हुए OROP पर सहमति बनाने में बड़ी भूमिका निभाई है.
कर्नल विक्रम 1994 में रिटायर्ड हुए. सेना में रहते हुए उन्होंने कई युद्ध लड़े. कर्नल विक्रम सैनिकों के नाम पर देश में हो रही राजनीति से बहुत दुखी हैं. कई पूर्व सैनिकों ने तो ट्विटर पर अरविन्द केजरीवाल को इसपर राजनीति ना करने की नसीहत भी दे दी है.
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