रामजन्म भूमि और बाबरी मस्ज़िद केस में सुन्नी वक्फ बोर्ड की पैरवी कर रहे कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता और वकील कपिल सिब्बल अब शायद केस छोड़ सकते हैं. रिपोर्ट्स की माने तो कांग्रेस ने उन्हें इस केस से दूर रहने की हिदायत दी है.

कर्नाटक चुनाव को लेकर कांग्रेस का फैसला:

गुजरात चुनावों के दौरान होने वाले विवाद के चलते कांग्रेस ने यह फैसला किया है. माना जा रहा है कि कांग्रेस आगामी कर्नाटक विधानसभा चुनावों में ऐसे किसी भी विवाद से फंसना नही चाहती है.

गौरतलब है कि गुजरात चुनाव में सिम्बल की बाबरी केस में पैरवी के दौरान दी दलीलों को लेकर काफी आलोचना हुई थी. बीजेपी वैसे भी बाबरी केस में सिब्बल सहित कई कांग्रेसी नेताओं की भूमिका को लेकर मुद्दा बनाती रहती है. उस समय सिब्बल ने कोर्ट से मांग की थी कि बाबरी केस की सुनवाई 2019 के लोकसभा चुनाव के बाद की जाएँ.

कांग्रेस ने सिब्बल को अब कहा है कि इस केस को छोड़ना राजनैतिक रूप से समझदारी भरा कदम होगा. बता दें कि कपिल सिब्बल केस की पिछली कुछ सुनवाई में मौजूद नही हो रहे हैं. उनकी गैरमौजूदगी को कांग्रेस की हिदायत के रूप में देखा जा रहा है.

कुछ मुस्लिम याचिकाकर्ताओं का कहना है कि सिब्बल के केस छोड़ने की उनको कोई खबर नही है. उन्होंने सिब्बल की कोर्ट पैरवी के दौरान अनुपस्थिति को अस्थाई ब्रेक बताते हुए 6 अप्रैल को होने वाली सुनवाई में शामिल होने की उमीद जताई है.

 

कर्नाटक विधानसभा चुनाव: आज हो सकती है तारीखों की घोषणा

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