जैसा की सब जानते हैं भारत के संविधान को 26 नवंबर 1949 में पारित हुआ था जिसके बाद 26 जनवरी 1950 से यह प्रभावी हुआ जिसे हम गणतंत्र दिवस के रूप में मनाते हैं परंतु क्या आप जानते है कि इस संविधान की रचना कैसे हुई ? या इस संविधान के होने के क्या मायने हैं ? आइये जानते हैं
संविधान की रचना :
- द्वितीय विश्वयुद्ध की समाप्ति के बाद जुलाई 1945 में ब्रिटेन ने भारत संबन्धी अपनी नई नीति की घोषणा की
- जिसके साथ भारत की संविधान सभा के निर्माण के लिए एककैबिनेट मिशन भारत भेजा गया
- 15 अगस्त 1947 को भारत के आज़ाद हो जाने के बाद संविधान सभा की घोषणा हुई
- संविधान सभा के सदस्य भारत के राज्यों की सभाओं के निर्वाचित सदस्यों द्वारा चुने गए थे।
- जिसमे जवाहरलाल नेहरू, डॉभीमराव अम्बेडकर, डॉ राजेन्द्र प्रसाद, सरदार वल्लभ भाई पटेल,
- इसके अलावा मौलानाअबुल कलाम आजाद आदि इस सभा के प्रमुख सदस्य थे।
- इस संविधान सभा ने 2 वर्ष, 11 माह, 18 दिन मे कुल 114 दिन बैठक की।
- इसकी बैठकों में प्रेस और जनता को भाग लेने की स्वतन्त्रता थी।
- भारत के संविधान निर्माण में डॉभीमराव अम्बेडकर ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी
- जिसके बाद उन्हें ‘संविधान का निर्माता’ कहा जाता है।
आधारभूत विशेषताएं :
- संविधान प्रारूप समिति तथासर्वोच्च न्यायालय ने भारतीय संविधान को संघात्मक संविधान माना है
- परन्तु इस विषय पर विद्वानों में मतभेद है।
- अमेरीकी विद्वान इस को ‘छद्म-संघात्मक-संविधान’ कहते हैं
- हालांकि पूर्वी संविधानवेत्ता कहते हैं कि अमेरिकी संविधान ही एकमात्र संघात्मक संविधान नहीं हो सकता।
- संविधान का संघात्मक होना उसमें निहित संघात्मक लक्षणों पर निर्भर करता है,
- किन्तु माननीय सर्वोच्च न्यायालय (पी कन्नादासन वाद) ने इसे पूर्ण संघात्मक माना है।
सम्प्रुभता :
- सम्प्रुभता शब्द का अर्थ है सर्वोच्च या स्वतंत्र.
- भारत किसी भी विदेशी और आंतरिक शक्ति के नियंत्रण से पूर्णतः मुक्त सम्प्रुभतासम्पन्न राष्ट्र है।
- यह सीधे लोगों द्वारा चुने गए एक मुक्त सरकार द्वारा शासित है
- तथा यही सरकार कानून बनाकर लोगों पर शासन करती है।
समाजवादी :
- समाजवादीशब्द को 12वे संशोधन अधिनियम द्वारा प्रस्तावना में जोड़ा गया है।
- यह अपने सभी नागरिकों के लिए सामाजिक और आर्थिक समानता सुनिश्चित करता है।
- इसमें जाति, रंग, नस्ल, लिंग, धर्म या भाषा के आधार पर कोई भेदभाव नहीं होता
- इसके साथ ही यह सभी को बराबर का दर्जा और अवसर देता है।
- साथ ही सरकार केवल कुछ लोगों के हाथों में धन जमा होने से रोकेगी
- तथा सभी नागरिकों को एक अच्छा जीवन स्तर प्रदान करने की कोशिश करेगी।
धर्मनिरपेक्ष :
- धर्मनिरपेक्ष शब्द संविधान के 12वे संशोधन अधिनियम द्वारा प्रस्तावना में जोड़ा गया।
- यह सभी धर्मों की समानता और धार्मिक सहिष्णुता सुनिश्चीत करता है।
- भारत का कोई आधिकारिक धर्म नहीं है।
- यह ना तो किसी धर्म को बढावा देता है, ना ही किसी से भेदभाव करता है।
- यह सभी धर्मों का सम्मान करता है व एक समान व्यवहार करता है।
- इसके अनुसार हर व्यक्ति को अपने पसन्द के किसी भी धर्म का उपासना, पालन और प्रचार का अधिकार
- सभी नागरिकों, चाहे उनकी धार्मिक मान्यता कुछ भी हो कानून की नजर में बराबर होते है
- सरकारी या सरकारी अनुदान प्राप्त स्कूलों में कोई धार्मिक अनुदेश लागू नहीं होता।
लोकतांत्रिक :
- भारत एक स्वतंत्र देश है, जिसमे किसी भी जगह से वोट देने की आजादी है
- इसके अलावा संसद में अनुसूचित सामाजिक समूहों और जनजातियों को सीटें आरक्षित की गई है।
- स्थानीय निकाय चुनाव में महिला उम्मीदवारों के लिए एक निश्चित अनुपात में सीटें आरक्षित हैं।
- सभी चुनावों में महिलाओं के लिए एक तिहाई सीटें आरक्षित करने का एक विधेयक लम्बित है।
- इसके साथ ही भारत का चुनाव आयोग स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनावों के लिए जिम्मेदार है।
गणराज्य :
- एक गणतांत्रिक राष्ट्र के प्रमुख एक निश्चित अवधि के लिए जनता द्वारा निर्वाचित होते है।
- भारत के राष्ट्रपति पांच वर्ष की अवधि के लिए एक चुनावी कॉलेज द्वारा चुने जाते हैं।
शक्ति विभाजन :
- यह भारतीय संविधान का सर्वाधिक महत्वपूर्ण लक्षण है
- राज्य की शक्तियां केंद्रीय तथा राज्य सरकारों मे विभाजित होती हैं।
- दोनों सत्ताएँ एक-दूसरे के अधीन नही होती है
- वे संविधान से उत्पन्न तथा नियंत्रित होती हैं।