टाटा समूह के चेयरमैन पद से हटाए गए साइरस मिस्त्री ने रतन टाटा के खिलाफ आखिरकार जमकर भड़ास निकालनी शुरू कर दी है। साइरस मिस्त्री ने रतन टाटा की काबीलिय पर भी बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है। मिस्त्री ने दावा किया है कि ग्रुप के लाभ के लिए जितने प्लांट का वे अपने कार्यकाल में दौरा कर चुके है, टाटा ने पिछले 10 साल में उतने दौरे नहीं किये है। उन्होंने कहा कि टाटा समूह किसी एक शख्स का नहीं है, बल्कि पूरे भारत का है।
मिस्त्री ने किया नया खुलासा :
- मिस्त्री का कहना है कि 24 अक्टूबर को मीटिंग से पहले रतन टाटा और नितिन नोहरिया मेरे ऑफिस में आए थे।
- नोहरिया ने बोला कि टाटा और आपका कुछ ठीक से तालमेल नहीं बैठ रहा।
- उनसे कहा गया कि वह चेयमैन पद से इस्तीफी दे दें। लेकिन उन्हें ऐसा करने से मना कर दिया।
- मिस्त्री ने पहले बोर्ड मीटिंग में टाटा सन्स के बोर्ड का रोड, ऑपरेटिंग कंपनी के बोर्ड के रोल और अपने रोल के बारे में स्पष्ट जानकारी मांगी थी।
- ऐसा इसलिए किया क्योंकि दो पावर सेंटर हो रहे थे।
- मिस्त्री का कहना है कि इसी के बाद हटाने का फैसला लिया गया।
शेयरधारकों से मांगा समर्थन :
- कंपनी ने मिस्त्री को निदेशक पद से हटाये जाने के प्रस्ताव पर विचार के लिए 26 दिसंबर को असाधरण बैठक बुलाई है।
- मिस्त्री ने टाटा पावर के बोर्ड में बने रहने के लिए शेयरधारकों से समर्थन मांगा है।
- उन्होंने यह समर्थन प्रवर्तकों द्वारा बोर्ड से हटाए जाने के प्रस्ताव के खिलाफ मांगा है।
- मिस्त्री ने कहा है कि उनके प्रयास से कंपनी को पिछले तीन साल में फायदा हुआ है।