चीन ने गहरी चाल चलते हुए भारतीय तीर्थयात्रियों के कैलाश मानसरोवर यात्रा में रोक लगा दी है। चीन ने भारतीय तीर्थयात्रियों के दो जत्थों को नाथूला दर्रा से आगे नहीं बढ़ने दिया है। ऐसा कर चीन ने भारत को एक संदेश देने की कोशिश की है। उसने यह बताने की कोशिश की है कि वह सीमा से जुड़ा कोई भी छोटा या बड़ा, विवाद कभी भी खड़ा कर सकता है। बता दें कि पिछले 4 दिनों से पूर्वोत्तर राज्य सिक्किम-चीन के बॉर्डर पर तनाव जारी है।
पिछले चार दिनों से जारी है तनाव :
- चीन ने कैलाश मानसरोवर यात्रा में रोक लगाते हुए भारतीय तीर्थयात्रियों के दो जत्थों को नाथूला दर्रा के पास से आगे नहीं बढ़ने दिया है।
- जिस कारण मानसरोवर यात्री दो दिन तक यात्री वहीं इंतज़ार करते रहे।
- बता दें कि जिस सिक्किम में चीन ने हालिया टकराव पैदा किया है।
- उसे चीन ने भारतीय पीएम अटल बिहारी वाजपेयी के 2003 दौरे में खुद ही भारत का हिस्सा माना था।
- यात्रा को रोककर चीन यह उम्मीद बांधे बैठा है कि बीजेपी की नेतृत्व वाली भारत सरकार दबाव में आ जाएगी।
लाई लामा की अरुणाचल यात्रा को चीन ने बनाया मुद्दा :
- चीन ने यह नया विवाद ऐसे वक्त में खड़ा किया है।
- इसी साल अप्रैल में भारत ने बौद्ध धर्मगुरु दलाई लामा को अरुणाचल प्रदेश की यात्रा करने की इजाजत दी थी।
- दलाई लामा उस क्षेत्र में गए थे, जिसपर चीन अपना दावा करता रहा है।
- भारत और चीन के मामलों से जुड़े विशेषज्ञ इस संबंध में जानकारी दी।
- कहा कि चीन को लगा होगा कि मानसरोवर यात्रा रोकने से भारत के अंदर ही नाराजगी पैदा हो जाएगी।
- आगे कहा कि इसके लिए लोग चीन और दलाई लामा पर नीति को गलत ठहराते हुए केंद्र सरकार पर ठीकरा फोड़ेंगे।
- नाथू ला दर्रे को बंद करना चीन की दबाव बनाने की रणनीति है ताकि भारत दलाई लामा पर अपनी नीति को नरम करे।
- विशेषज्ञ के अनुसार चीन ने शायद बौद्ध धर्मगुरु दलाई लामा सोचकर गलती कर दी।
- कहा कि चीन द्वारा धर्म के मुद्दे को आधार बनाकर पैदा किया गया दबाव वर्तमान सरकार पर काम कर जाएगा।
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