नोट बंदी के बाद केंद्र सरकार को बड़ा झटका लग सकता है। बता दें कि प्रमुख रेटिंग एजेंसी फिच ने वर्तमान वित्तीय वर्ष में भारत की जीडीपी वृद्धि दर कम रहने का अनुमान लगाया है। गौरतलब है कि पहले फार्म ने अनुमान लगाया था कि ये जीडीपी दर 7.4 प्रतिशत तक जा सकती है । लेकिन नोटबंदी के असर को देखते हुए फार्म ने नया अनुमान व्यक्त किया है जिसके अनुसार अब ये दर 6.9 प्रतिशत तक ही जा सकती है। जीडीपी रेट कम होने पर फार्म ने कहा है कि भारत की आर्थिक गतिविधियों में मामूली व्यवधान आ सकता है।
विमुद्रीकरण के बाद देश कि 86 प्रतिशत करेंसी चलन से एक दम बाहर
- देश में जीडीपी रेट कम होने का एक कारण ये भी है की नोट बंदी के बाद देश की करीब 86 प्रतिशत करेंसी चलन से एक दम बाहर है।
- फिच ने अपनी ‘वैश्विक आर्थिक परिदृश्य नवंबर’ रिपोर्ट में कहा है कि बड़े नोटों के विमुद्रीकरण के बाद आर्थिक गतिविधियों में व्यवधान को देखते हुए अनुमान दर को घटाया गया है।
- बता दें की फिच ने 2017-18 के लिए विकास दर 7.7 रखी है।
- जब कि 2018-19 के लिए ये दर 8 प्रतिशत तक रखी है।
- फिच ने रिपोर्ट में कहा कि ढांचागत सुधार के कारण कार्यान्वयन से उच्च वृद्धि में योगदान की उम्मीद है।
- एजेंसी का ये भी कहना है कि खर्च करने योग्य आय और सरकारी कर्मचारियों की आय बढ़ने से इस रिपोर्ट को बल मिलेगा।
- रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि नोट बंदी एक ही बार की जा सकती है।
- साथ ही रिपोर्ट में ये भी कहा गया कि असंगठित क्षेत्र में काम करने वाले
- अपनी संपत्ति को छुपाने के लिए नए नोट व अन्य विकल्पों का इस्तेमाल कर सकेंगे।
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