हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने नोटबंदी पर दायर याचिका की सुनवाई को आगे टालते हुए दो दिसंबर की तारीख निश्चित की है. इस याचिका में 500, 1000 और 2000 रुपये के नोट पर पूरी तरह पाबंदी लगाने की मांग की गई है. इन नोटों पर पाबंदी के लिए तर्क दिया गया है कि इससे कालेधन तथा भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिलता है.

जजों ने सुनवाई पर जताई सहमति :

  • हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने नोटबंदी पर दायर याचिका की सुनवाई को 2 दिसंबर तक के लिए टाल दिया है.
  • इस याचिका पर चीफ जस्टिस टी.एस.ठाकुर, जस्टिस डी.वाई.चंद्रचूड़ व जस्टिस एल.नागेश्वर राव की पीठ बैठी है.
  • उनके अनुसार इस जनहित याचिका पर सुनवाई पर सहमति जता दी गयी है.
  • बता दें कि याचिका में काले धन को लोकतंत्र के लिए सबसे बड़ा खतरा बताया है.
  • इसके साथ ही देश के विकास के लिए बड़े नोटों को बंद करने की मांग की गई है.
  • आपको बता दें कि जनहित याचिका वकील अश्विनी उपाध्याय ने दायर की है.
  • अश्विन के अनुसार यह आर्थिक रूप से कमजोर (ईडब्ल्यूएस),
  • साथ ही गरीबी रेखा से नीचे (बीपीएल) जीवन-यापन करने वालों के लिए फायदेमंद साबित होगा.
  • याचिका के मुताबिक, भारत की 78 फीसदी से अधिक आबादी रोजाना 50 रुपये से कम की खपत करती है.
  • जिसके लिए उन्हें 100 रुपये से ऊपर के नोट की जरूरत नहीं है.
  • इस याचिका में 5,000 रुपये के नकद लेन-देन को बैन करने के पीछे भी तर्क दिया गया है.
  • जिसके तहत इससे भारी तादाद में बैंकिंग से दूर लोग इसके तरफ आकर्षित होंगे.

 

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