आजादी के 70 साल बाद कर व्यवस्था में सुधार हुआ है। देश अब नई कर व्यवस्था में है। इसका आगाज 30 जून की आधी रात को हो गया। संसद के ऐतिहासिक समारोह में राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी और प्रधानमंत्री मोदी ने जीएसटी को लॉन्च किया। आइए जानते हैं आर्थिक क्रांति और कर क्रांति कहे जाने वाले जीएसटी (गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स) से जुड़ी कुछ तथ्यों के बारे में…
सभा कर के स्थान पर एक कर :
- GST की शुरुआत के साथ ही भारत दुनिया के उन कुछ गिने चुने देशों में शामिल हो गया है, जिनमें राष्ट्रीय स्तर पर एक बिक्री कर लागू है।
- इसके लागू होने के साथ ही देश में केन्द्र और राज्यों के स्तर पर लगने वाले एक दर्जन से अधिक कर समाप्त हो गए हैं।
- अब उनके स्थान पर केवल जीएसटी लगेगा
- GST की चार दरें 5, 12, 18 और 28% हैं।
- अनाज समेत कई सामानों पर जीएसटी 0 फीसदी रहेगा यानी टैक्स मुक्त कर दी गई हैं।
पूरा हुआ एक कर, एक बाजार का सपना :
- वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि जीएसटी से एक कर, एक बाजार और एक राष्ट्र का सपना पूरा हुआ।
- जेटली ने कहा कि भारत में अब केन्द्र और राज्य सरकारें मिलकर साझी समृद्धि के लिये काम करेंगे।
- जीएसटी को आजादी के बाद देश का सबसे बड़ा कर सुधार माना जा रहा है।
- इसे आर्थिक क्रांति का नाम दिया जा रहा है।
- इससे देश की 2,000 अरब की अर्थव्यवस्था और 1.3 अरब लोग सभी एक साथ जुड़ जायेंगे और पूरा देश एक साझा बाजार बन जायेगा।
लगा 17 साल का लंबा समय :
- GST के आइडिया के सामने आने के बाद इस समूची प्रक्रिया को पूरा होने में 17 सालों का लंबा समय लगा।
- जीएसटी से वर्तमान बहुस्तरीय कर व्यवस्था समाप्त होगी और कर के उपर कर लगने से माल की लागत पर बढ़ने वाला बोझ भी समाप्त होगा।
- जीएसटी लागदू होने के साथ ही 29 राज्य एवं सभी केंद्र शासित प्रदेश एक साथ जुड़ गए।
- टोल नाकाओं पर लंबी कतारें भी समाप्त हो गईं।
- पीएम मोदी ने कहा कि जीएसटी एक पारदर्शी और साफ-सुथरी प्रणाली है।
- कहा कि यह कालेधन और भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाएगी और एक कार्य संस्कृति को आगे बढ़ाएगी।
- वहीं राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने इसे भारत की लोकतांत्रिक प्रणाली को मजबूत करने वाली प्रक्रिया बताई।