कहते हैं कि कोई भी काम बड़ा या छोटा नहीं होता है और जहां चाह होती है वहां राह होती है। सपने छोटे हो या बड़े, उनको पूरा करने के लिए जरूरत होती है जोश और आत्मविश्वास की। इसका जीवंत उदारण हैं। ये पांच भारतीय महिलाएंं जिनके पास बड़ी-बड़ी डिग्रियां होने के बावजूद नौकरी पेशेवर जिंदगी को छोड़ कर रही हैं ये काम, जिनके हौसलें देख आप भी करेंगे सलाम।
1- छवि राजावत :
- 29 वर्षीय छवि राजावत जयपुर से 60 किलोमीटर दूर टोंक जिले के छोटे से गांव सोड़ा की सरपंच हैं।
- वे भारत की सबसे कम उम्र की और एकमात्र एमबीए सरपंच हैं।
- वे नवंबर 2013 में स्थापित भारतीय महिला बैंक की निदेशक (डायरेक्टर) भी हैं।
- पुणे के इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ माडर्न मैनेजमेंट से एमबीए की डिग्री हासिल करने वाली छवि कई नामी कारपोरेट कंपनियों में काम कर चुकी हैं।
- उन्होंने चकाचौंध भरी जिंदगी का साथ छोड़ गांव की मिट्टी से जुड़ने का फैसला किया।
- इसके लिए सरपंच का चुनाव लड़ने का फैसला किया।
- 4 फ़रवरी 2011 को छवि ने अपने निकटतम प्रतिद्वन्दी को रिकॉर्ड 1200 मतों से हराकर सरपंच चुनाव में जीत दर्ज की।
2- रीना तंवर :
- राजस्थान के भीलवाड़ा शहर से करीब 10 किलोमीटर दूर रीना तंवर खेतों में खीरा-ककड़ी उगाती हैं।
- रीना तंवर ने एमबीए की पढ़ाई कर किसानों को आगे बढ़ाने के लिए कई कंपनियों में नौकरी की।
- जिसमें उन्होंने प्रगतिशील किसानों को दूसरे राज्य में ले जाकर खेती में नवाचार बढ़ाने की योजनाओं को जाना।
- इसके बाद उन्होंने नौकरी छोड़ आधुनिक तकनीकी से खेती करने का निर्णय लिया।
- उन्होंने सरकार की मदद से बंजर जमीन पर पॉली हाउस लगाया।
- आधुनिक तकनीकी से तालमेल बिठाकर खेती-किसानी के क्षेत्र में भाग्य आजमाने वाली मेवाड़ अंचल की पहली महिला किसान हैं
- रीना तंवर आज समाज के लिए प्रेरणा स्रोत बन गयी हैं।
3- राधिका अरोड़ा :
- हरियाणा के अंबाला की राधिका रिलायंस में एचआर की शानदार नौकरी छोड़कर मोहाली में खाने की रेहड़ी लगाती हैं।
- आपको बता दें कि इनके पास कोई छोटी-मोटी डिग्री नहीं बल्कि एमबीए की डिग्री है।
- राधिका ने मोहाली इंडस्ट्रियल एरिया में एक फूड ज्वाइंट खोला है।
- लोगों को अपनेपन का एहसास कराने के लिए उन्होंने रेहड़ी का नाम ‘MAA का PYAAR’ रखा है।
4- शिखा शाह :
- बनारस की रहने वाली शिखा शाह ने कचरे से लाखों का कारोबार खड़ा किया है।
- शिखा शाह नगर निगम के कचरे से काशी के हर घर को संवारने की कोशिश कर रही हैं।
- उन्होंने परास्नातक में पर्यावरण अध्ययन दिल्ली के TERI यूनिवर्सिटी से किया है।
- एक बड़ी कंपनी में काम कर चुकी शिखा लाखों रुपए की नौकरी छोड़कर इस कार्य को चुना।
- वह न सिर्फ कबाड़ को नया स्वरूप दे रही हैं बल्कि तमाम बेरोजगारों का जीवन सवांरने की कोशिश कर रही है।
5- दिव्या रावत :
- देहरादून की छोटी कद काठी की 26 साल की दिव्या रावत ‘मशरूम लेडी’ के नाम से जानी जाती हैं।
- दिल्ली में इग्नू से सोशल वर्क में मास्टर डिग्री प्राप्त करने के बाद करीब तीन वर्ष तक दिल्ली में नौकरी की।
- जिसके बाद वह उन्होंने मशरूम की खेती करने का निर्णय लिया।
- वर्ष 2012 में शुरू हुआ दिव्या का सफर आज सौम्या फूड प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के रूप में खड़ा है।
- मशरूम की खेती से लोगों को रोजगार देने के साथ वह सालाना एक करोड़ से ज्यादा की कमाई करती हैं।
- दिव्या ने 35-40 डिग्री के तापमान में मशरूम उत्पादन कर इस क्षेत्र में रोजगार की नई संभावनाओं को जन्म दिया।
- उत्तराखंड सरकार ने दिव्या के इस सराहनीय प्रयास के लिए उन्हें ‘मशरूम की ब्रांड एम्बेसडर’ घोषित किया।
- महिला दिवस 2017 के अवसर पर उत्तराखंड की बेटी को राष्ट्रपति के हाथों से सम्मानित किया गया।