पिछले कई दशकों में सबसे अहम टैक्स सुधार, यानी जीएसटी पहल की योजना के मुताबिक 1 अप्रैल को नहीं, बल्कि 1 जुलाई से लागू किया जाएगा, क्योंकि केंद्र तथा राज्यों के बीच टैक्सेशन से जुड़े अधिकारों को लेकर सभी विवाद नहीं सुलझ पाए हैं.
वित्तमंत्री अरुण जेटली ने किया ऐलान :
- केंद्रीय तथा राज्यीय करों को खत्म करने वाले व राष्ट्रीय स्तर पर लागू होने वाले जीएसटी से देश को एकीकृत बाज़ार का रूप दिया जाना है.
- इस मुद्दे पर सभी प्रकार के फैसले करने के लिए जीएसटी काउंसिल का गठन किया गया है,
- जिसमें सभी राज्यों के वित्तमंत्रियों के साथ-साथ केंद्रीय वित्तमंत्री भी शामिल हैं.
- काउंसिल द्वारा सोमवार को हुई बैठक में ही इस बात पर सहमति बनी है,
- जिसके तहत 1 अप्रैल की डेडलाइन का पालन किया जाना मुमकिन नहीं हो पाएगा.
- दरअसल जीएसटी को लेकर अब तक विवाद का एक सबसे बड़ा मुद्दा रहा है
- जिसके तहत डेढ़ करोड़ रुपये से ज़्यादा की कमाई करने वाली कंपनियों तथा संस्थाओं का आकलन कौन करेगा.
- सोमवार को वित्तमंत्री अरुण जेटली ने पत्रकारों को बताया कि डेढ़ करोड़ रुपये वार्षिक तक की कमाई वाली 90 फीसदी इकाइयों का आकलन राज्य करेंगे, जबकि शेष 10 फीसदी इकाइयों का आकलन केंद्र करेगा.
- उन्होंने यह भी कहा कि डेढ़ करोड़ रुपये से ज़्यादा की वार्षिक कमाई करने वाली इकाइयों का आकलन केंद्र तथा राज्य 50-50 के अनुपात में करेंगे.