हिन्दी साहित्य को अपनी कहानियों के जरिये शिखर पर पहुंचाने वाले महान कथा सम्राट मुंशी प्रेमचन्द की आज 136वीं जयंती है। इस अवसर पर गूूगल ने भी हिन्दी के इतिहास के इस सबसे बड़े कहानीकार को श्रद्धांंजलि अर्पित की है। गूगल के आज अपने डूडल में मुंशी प्रेमचन्द का कार्टून बनाया है।
मुंंशी प्रेेमचन्द का जन्म 31 जुलाई 1880 बनारस से लगभग छ मील दूर लमही नामक गांव में हुआ था। उनके पिता अजायब राय क्लर्क की नौकरी करते थे। प्रेमचन्द अपने माता-पिता की चौथी सन्तान थे। उनसे पहले अजायब राय के घर में तीन बेटियां हुई थीं, जिसमें से दो बचपन में ही मर गई थी, जबकि सुग्गी नामक एक बच्ची जीवित रह गई थी. प्रेमचन्द का वास्तविक नाम धनपत राय था, जो उनके माता-पिता ने रखा था। लेकिन, उनके चाचा उन्हें नवाब कहा करते थे।
प्रेमचंद ने ‘रामलीला’ की रचना बर्फखाना रोड पर स्थित बर्डघाट की रामलीला के पात्रों की दयनीय स्थिति को ध्यान में रखकर लिखी थी, तो वहीं ‘बूढ़ी काकी’ मोहल्ले में बर्तन मांजने वाली एक बूढी महिला की कहानी है। गोदान भी अंग्रेजी हुकूमत में देश के किसानों के दर्द की तस्वीर खींचती है, जिसका किरदार भी गोरखपुर के इर्दगिर्द ही घूमता है।
प्रेमचंद की चर्चित कहानियां हैं-मंत्र, नशा, शतरंज के खिलाड़ी, पूस की रात, आत्माराम, बूढ़ी काकी, बड़े भाईसाहब, बड़े घर की बेटी, कफन, उधार की घड़ी, नमक का दरोगा, पंच फूल, प्रेम पूर्णिमा, जुर्माना आदि। उनके उपन्यास हैं- गबन, बाजार-ए-हुस्न (उर्दू में), सेवा सदन, गोदान, कर्मभूमि, कायाकल्प, मनोरमा, निर्मला, प्रतिज्ञा, प्रेमाश्रम, रंगभूमि, वरदान, प्रेमा और मंगल-सूत्र (अपूर्ण). प्रेमचंद्र ने लगभग 300 कहानियां तथा चौदह बड़े उपन्यास लिखे।