केंद्र सरकार जम्मू-कश्मीर के अलगाववादी नेताओं पर सख्त रवैया अपना सकती है, अलगाववादी नेताओं से मुलाकात करने गए डेलिगेशन से बात न करने की स्तिथि में फैसला ले सकती है।
छीने जा सकते हैं ऐश-ओ-आराम:
- जम्मू-कश्मीर के अलगाववादी नेताओं से उनके सभी ऐश-ओ-आराम छिन सकते हैं।
- केंद्र सरकार अलगाववादी नेताओं के रवैया पर सख्त हो गयी है।
- गौरतलब है कि, अलगाववादी नेताओं से मिलने पहुंचे डेलिगेशन से मुलाकात के लिए मना करने पर केंद्र सरकार ये फैसला ले सकती है।
- जिसके बाद सभी अलगाववादी नेताओं को मिलने वाले ऐश-ओ-आराम छीने जा सकते हैं।
- जिसमें उन्हें मिलने वाली जेड सिक्योरिटी भी छिन सकती है।
- जिसके चलते उनके बैंक एकाउंट्स की भी स्क्रूटनी की जा सकती है।
- इसके साथ ही उनके पासपोर्ट भी रद्द किये जा सकते हैं।
कश्मीर के मसले पर बात करने पहुंचे डेलिगेशन को लौटाया था बैरंग:
- गृह मंत्री राजनाथ सिंह के नेतृत्व में अलगाववादी नेताओं से मिलने पहुंचे दल को नेताओं ने बैरंग लौटा दिया था।
- ज्यादातर सभी अलगाववादी नेताओं ने तो डेलिगेशन से बात करने से साफ़ इंकार कर दिया।
- तो वहीँ, कुछ नेताओं ने तो बिना दरवाजा खोले ही दल को लौटा दिया था।
- गिलानी सभी नेताओं में आगे रहे और डेलिगेशन को खिड़की से मना कर दिया।
- अलगाववादी नेताओं के इस रवैया को डेलिगेशन के नेताओं ने अपना अपमान माना।
- साथ ही केंद्र सरकार भी उनके इस रवैया से खुश नहीं है।
- अलगाववादी नेताओं से मिलने पहुंचे दल में सीताराम येचुरी, शरद यादव, जयप्रकाश नारायण. असुद्दीन ओवैसी और डी.राजा शामिल थे।
गृह मंत्री की प्रक्रिया:
- अलगाववादी नेताओं द्वारा सांसदों से मुलाकात न करने पर गृह मंत्री ने भी प्रतिक्रिया व्यक्त की थी।
- गृह मंत्री ने कहा था कि, ये सलूक न तो कश्मीरियत है और न ही इंसानियत है।
- वहीँ अलगाववादी नेता गिलानी पर हमला करते हुए राजनाथ सिंह ने कहा था कि, कश्मीर के मुद्दे पर बातचीत के लिए दरवाजे क्या रौशनदान भी खुला है।
- उन्होंने आगे बोलते हुए कहा था कि, लेकिन पाकिस्तान से कोई बातचीत नहीं होगी।
- गौरतलब है कि, गिलानी ने कश्मीर मुद्दे पर पहले पाकिस्तान से बात करने की बात कही थी।