गुर्जर आंदोलन से एक बार फिर राजस्थान की राजनीति में उबाल आ सकता है। गुर्जर समुदाय 5 फीसदी आरक्षण की मांग को लेकर 10 सालों से आन्दोलन कर रहे हैं. सरकार को चेताने के लिए अब गुर्जर 15 मई को आंदोलन करेंगे।
15 मई को रेल रोको आन्दोलन:
पांच फीसद आरक्षण की मांग कर रहे गुर्जर समाज ने अब 15 मई को आन्दोलन करने का एलान किया है. जिसके चलते गुर्जर समाज रेल रोको आंदोलन करेगा. अपने मांगों को लेकर 10 साल से आन्दोलन कर रहे गुर्जर इस बार भरतपुर के बयाना अड्डा गांव में प्रदर्शन करेंगे. यह गांव दिल्ली-मुंबई को जोड़ने वाले रेलवे ट्रैक के नजदीक है. गुर्जर आरक्षण संघर्ष समिति के संयोजक कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला ने किरवाड़ी गांव में समाज के नेताओं और अति पिछड़ा वर्ग में शामिल अन्य जातियों के नेताओं के साथ बैठक कर आंदोलन की तारीख का एलान किया.
रेल रोको आन्दोलन का एलान:
कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला ने कहा कि गुर्जर समाज की आवाज बुलंद करने के लिए पटोली, पीपलखेड़ा, दौसा, सिकंदरा, कोटपुतली, अजमेर, पाली, जालोर, भीलवाड़ा और सवाईमाधोपुर में आंदोलन किया जाएगा।
आरक्षण संघर्ष समिति के प्रवक्ता हिम्मत सिंह गुर्जर ने बताया कि आंदोलन को कामयाब बनाने के लिए समाज के लोग गांवों का दौरा करेंगे। उन्होंने कहा कि राजस्थान सरकार ने आरक्षण दिलाने के लिए गंभीर प्रयास नहीं किये।
समिति का कहना है कि बिल के खारिज होने के बाद भी रिवीजन याचिका भी दायर नहीं की गई। गुर्जर समाज चाहता है कि ओबीसी में वर्गीकरण कर उन लोगों को आरक्षण का लाभ दिया जाए। राजस्थान सरकार के वादाखिलाफी के बाद आंदोलन के अलावा कोई चारा नहीं है।
10 साल से कर रहे आन्दोलन:
बता दें कि करीब तीन साल पहले गुर्जर समुदाय के लोगों ने आरक्षण की मांग पर जबरदस्त आंदोलन किया था। उस आंदोलन की वजह से करीब 10 दिनों तक राजस्थान के पूर्वी हिस्सों में आम जनजीवन प्रभावित हुआ था। गुज्जर समाज के लोगों ने दिल्ली-मुंबई रेल मार्ग को पूरी तरह ठप कर दिया था। राजस्थान सरकार के रुख पर हाईकोर्ट ने कड़ी प्रतिक्रिया जताते हुए सरकार की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाया था।
समिति के प्रवक्ता हिम्मत सिंह गुर्जर ने बताया कि आंदोलन में समाज के लोगों को जुटाने के लिए सोमवार से ही समाज के नेता गांव-गांव का दौरा करेंगे। सिंह ने बताया सरकार ने हमें आरक्षण दिलाने के लिए गंभीर प्रयास नहीं किये। जो बिल खारिज हुआ, उस पर रिवीजन याचिका भी दायर नहीं की गई। हमारी मांग 50 फीसद के भीतर ओबीसी में वर्गीकरण कर आरक्षण देने की है। ऐसे में हमारे पास आंदोलन के अलावा कोई चारा नहीं है।