यूनिफार्म सिविल कोड और ट्रिपल तलाक में सियासी दांव पेंच तेज़ हो गई है. मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और केंद्र सरकार में छिड़ी जंग अब सुप्रीम कोर्ट तक पहुँच सकती है.
केंद्र सरकार ने माना ट्रिपल तलाक है महिलाओं के खिलाफ:
- इसके अंतर्गत केंद्र सरकार सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल करने के लिए कमर कस कर तैयार है.
- आज का दौर जो महिला सशक्तिकरण पर जोर देता है.
- ट्रिपल तलाक संपूर्ण रूप से लिंग आधारित भेदभाव की पुष्टि करता है .
- यूनिफार्म सिविल कोड के अंतर्गत नहीं बल्कि लड़कियों के खिलाफ भेदभाव का परिवेश लिया हुआ है.
- ट्रिपल तलाक जिसे गलत तरीके से रखा जा रहा है.
- मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने सुप्रीम कोर्ट को धर्म आधारित मामलों में कोर्ट की दखलंदाजी को गलत ठहराया है.
- मुस्लिम बोर्ड ने समाज सुधार के नाम पर किसी भी कानून में परिवर्तन लाने को कुरान को चुनौती माना है.
- साथ ही है कि यह कायदा कुरान से अपनाया गया है
- मुस्लिम लॉ बोर्ड ने ट्रिपल तलाक को इस्लाम का संस्कृतिक मुद्दा करार देते हुए इसमें कोई बदलाव न करने का हलफनामा दाखिल किया है.
- सभी धर्म विवाह और तलाक को अलग अलग नज़रिए से देखतें हैं.
- बोर्ड ने कहा किसी एक धर्म के अधिकार को लेकर फैसला देना कोर्ट.
- कुरान के मुताबिक़ तलाक गलत है लेकिन ज़रूरत पड़ने पर लिया जा सकता है.
- इस्लाम में लिखा है कि अगर मियां बीबी के बीच तालुक्कात ख़राब हो चुके तो शादी को ख़त्म कर देना चाहिए.
- ट्रिपल तलाक के बोल केवल पति प्रयोग कर सकते क्योकि पति कभी जल्दबाजी में निर्णय नहीं लेते.
- तलाक केवल तभी मान्य होगा जब पति पत्नी के बीच मामला संगीन हो