वैसे तो इंडोनेशिया एक ऐसा देश है जहाँ 87.5 प्रतिशत लोग मुस्लिम हैं और केवल 3 प्रतिशत हिंदु हैं परंतु फिर भी यहाँ की मुद्रा व कई प्रमुख जगहों पर भागवान गणेश व कई हिंदु सभ्यता के चिह्न देखने को मिलते है. आखिर इसके पीछे क्या कारण है ? आइये जानते हैं!
एलके आडवानी रह गए थे हैरान :
- 2010 में बीजेपी के कार्यकर्ता एलके आडवानी का इंडोनेशिया के जकर्ता जाना हुआ था.
- आडवानी की यह यात्रा अन्तराष्ट्रीय सिन्धी सम्मलेन के लिए हुई थी जो कि बहुत यादगार रही.
- बताया जाता है कि आडवानी इंडोनेशिया के मुसलमानों का हिंदु के प्रति सम्मान देखकर हैरान रह गये थे.
- आपको बता दें कि इंडोनेशिया में 20,000 के नोट पर भगवान गणेश का चिह्न बना होता है.
- इसके अलावा इस नोट पर आगे की हज़र देवान्तर व पीछे पढ़ते हुए बच्चे चित्रित हैं.
इंडोनेशिया है हिंदु सभ्यता से प्रभावित :
- माना जाता है कि पहली सदी की शुरूआत से ही इंडोनेशिया द्वीपसमूह हिंदु धर्म के प्रभाव में रहा है.
- तभी से यह परंपरा चलती आ रही है और इसी कारण अब तक यहाँ हिंदु सभ्यता के निशान हैं.
- जहाँ एक ओर इंडोनेशिया में भगवान गणेश को कला, विज्ञान व बुद्धि का दाता माना जाता है.
- वहीं दूसरी ओर की हज़र देवान्तर इंडोनेशिया के स्वतंत्रता सेनानी व शिक्षा के मार्ग-दाता रहे हैं.
- इसके अलावा यहाँ हिंदु सभ्यता के कई चिह्न देखने को मिलते हैं.
- जकर्ता स्क्वायर पर महाभारत के किरदार कृष्ण-अर्जुन की बहुत बड़ी मूर्ती लगी है.
- यही नहीं यहाँ की सेना के शुभंकर हनुमान हैं व बाली का चित्र पर्यटन का लोगो है.
- इसके अलावा बांडुंग के एक बहुचर्चित प्रौद्योगिकी संस्थान का लोगो भी भगवान गणेश का ही हैं.
क्या है कहानी :
- कहानी कुछ इस प्रकार है, 1997 में एशिया के कई देशों की मुद्रा का अवमूल्यन हो रहा था.
- कई कोशिशों के बाद भी इंडोनेशिया इस अवमूल्यन को रोक पाने में नाकाम था.
- बताया जाता है कि तब वहाँ सरकार को किसी ने गणेश का चिह्न लगाने का सुझाव दिया.
- जैसा कि माना जाता है भगवान गणेश ने इंडोनेशिया की मुद्रा को संभाल लिया.
- जिसके बाद से ही उन्हें इस मुद्रा पर चित्रित किया जाने लगा.