[nextpage title=”नंबर प्लेट घोटाला ” ]

वाटर टैंकर और प्रीमियम बस घोटाले के बाद दिल्ली की अरविन्द केजरीवाल सरकार एक और घोटाले में घिरती नजर आ रही है। केजरीवाल सरकार पहले ही टैंकर घोटाले पर चुप है और ऐसे में एक कथित घोटाले की खबर आम आदमी पार्टी के लिए मुश्किलें पैदा कर सकती है।

बता दें कि केजरीवाल सरकार पर 400 करोड़ के टैंकर घोटाले के अलावा 14 करोड़ का प्रीमियम बस सर्विस एप्प के बाद एक और घोटाले ने केजरीवाल सरकार को मुश्किलों में डाल दिया है।

घोटाले की पूरी जानकारी पढ़िए अगले पेज पर 

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बीजेपी के प्रवक्ता हरीश खुराना के अनुसार, 15 महीने में 450 करोड़ रुपये का घोटाला हुआ है। ये पैसा या तो कंपनी की जेब में गया या फिर आम आदमी पार्टी के लोगों की जेब में।  उन्होंने कहा कि इसकी जाँच की जानी चाहिए। हरीश खुराना के आरोप लगाया कि अरविन्द केजरीवाल को इस घोटाले के बारे में बता था।

क्या है 450 करोड़ का नंबर प्लेट घोटाला 

हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट के लिए कांग्रेस सरकार के दौरान 2012 में टेंडर हुआ और मार्च 2012 में मैसर्स रोजमेर्टा हाई सिक्योरिटी रजिस्ट्रेशन प्लेट वेंचर्स PVT LTD को गाड़ियों पर हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट लगाने का काम दिया गया।इसके बाद सरकार को इस कंपनी के खिलाफ कई शिकायतें मिलती रहीं।

49 दिन की सरकार के दौरान केजरीवाल सरकार ने इस कॉन्ट्रैक्ट को लेकर एक फैक्ट फाइंडिंग कमेटी बनाई। जिसकी रिपोर्ट 31 जनवरी 2014 को फैक्ट फाइंडिंग कमेटी ने दी। दिल्ली सरकार की फैक्ट फाइंडिंग कमेटी की रिपोर्ट में इस कथित घोटाले में तमाम गड़बड़ियाँ मिली।

इस रिपोर्ट के मुताबिक –

  • कंसेसनैर कंपनी अनअप्रूव्ड और अनवेरिफाइड सोर्स से हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट ले रही थी। जो कि गैरकानूनी माना जाता है। जिसके कारण नंबर प्लेट घटिया होने की बात सामने आई थी। नंबर प्लेट ऐसे सेंटरों से लगाई जा रही थीं, जो ट्रांसपोर्ट विभाग से सत्यापित नही थे।
  • कमेटी को ऑटोमोटिव रिसर्च एसोसिएशन ऑफ इंडिया को 15 जनवरी को पत्र मिला, जिसके मुताबिक रोजमेर्टा की सहयोगी कंपनी उत्सव सेफ्टी सिस्टम लिमिटेड के COD सर्टिफिकेट होल्ड पर डाल दिए गए थे।
  • नंबर प्लेट के एवज में वाहन मालिकों से ओवरचार्जिंग की जा रही थी। कार के लिए 1200 रुपये तक और दो पहिया वाहनों के लिए 600 रुपये वसूले जा रहे थे जो कि सामान्य से 5 से 6 गुना अधिक था।

रिपोर्ट के अनुसार, एक्सपर्टाइज नहीं होने और इन्फ्रास्ट्रक्चर की कमी की वजह से वो कंपनी की कई तकनीकी खामियों की जांच नहीं कर पाई। इसलिए इसकी जांच किसी एक्सपर्ट कमेटी से कराने की बात भी कही गई थी।

अब विपक्षी पार्टी बीजेपी सरकार पर आरोप लगाते हुए सवाल किया है कि 

  • रिपोर्ट के बाद कंपनी का कॉन्ट्रैक्ट रद्द नहीं किया गया। 
  • इसी तरह की गड़बड़ियों के चलते मध्यप्रदेश और सिक्किम की सरकार ने हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट का कान्ट्रैक्ट रद्द कर दिया था तो दिल्ली सरकार ने ऐसा क्यों नहीं किया। 
  • ओवरचार्जिंग का पैसा रिकवर नहीं किया गया। जो 15 महीनों के दौरान करीब 450 करोड़ रुपये हुआ। कंपनी ने 200 रुपये की प्लेट 1200 में लगाई और प्रत्येक महीने करीब 3 लाख गाड़ियों पर नंबर प्लेट लगाई जाती हैं तो इस हिसाब से 15 महीने में आंकड़ा 450 करोड़ रुपये किसकी जेब में गए।
  • सरकार का कहना है कि कंपनी के साथ आर्बीट्रेशन में है, लेकिन आर्बीट्रेशन में कॉन्ट्रैक्ट रद्द करने के बाद जाना चाहिए था ना कि पहले। 

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इस मामले में दिल्ली के परिवहन मंत्री सत्येंद्र जैन का कहना है कि उन्होंने हाल ही में विभाग संभाला है और उनको पूरे मामले की जानकारी नहीं है, लेकिन जल्दी ही वो इस बारे में पता करेंगे और इसकी जांच कराएंगे। बता दें कि गोपाल राय के इस्तीफा देने के बाद परिवहन विभाग सत्येन्द्र जैन को दिया गया है।

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