कहतें है कलम की ताक़त तलवार से ज्यादा होती है.क्या होगा जब कलम ही गले की तलवार बन जाये तो?२६/११ से शुरू हुआ आतंकवाद का कारवां आज थमने का नाम नहीं ले रहा.भारतीय मीडिया चुटकियों में हमें पल पल की ख़बरों से अवगत कराती है .कितना संवेदनशील होता है किसी आतंकवादी हमले को लाइव दिखाना ?
- 26-11 के हमलों से साफ़ ज़ाहिर हुआ था की आतंकवादी टीवी पर लाइव भारतीय हमले की जानकारी ले रहे थे.
- भारतीय मीडिया ताज होटल और नरीमन हाउस की लाइव तस्वीरें दिखा रहा था.
- जिसके कारण आतंकवादी आसानी से छिपकर हमला कर रहे थे.
- मुंबई कोर्ट की बेंच पीठ आफताब आलम,सी.के. प्रसाद ने इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पर सवाल खड़े किए थे.
२६/११ हमले में आतंकवादी भारतीय से ले रहे थे मदद
- एक तरफ जहाँ आतंकी बंदूकों और गोला बारूदों से लबरेज़ अपने को छुपा रहे थे .
- दूसरी तरफ मीडिया की लाइव तस्वीरें जो लगातार हमले पर नज़र रख रही थी.
- उसकी सूचना बॉर्डर पार पाकिस्तान पहुच रही थीं.जिससे आतंकी लगातार हमला कर रहे थे.
कुछ देर की टी.आर. पी . और राष्ट्रीय सुरक्षा दांव पर
- संविधान भाग १९ में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता ज़रूर देता है पर राष्ट्रीय सुरक्षा का क्या ?
- हाल ही में हुए सर्जिकल स्ट्राइक का विडियो जारी करने की लगातार मांग की जा रही है.
- कितना कारगर होगा इसका प्रसारण सुरक्षा के नज़रिए से ये आप भी समझ सकतें हैं.
पत्रकार ग्राउंड रिपोर्टिंग करने पहुँचते हैं आतंकी हमले की जगह
- पत्रकारिता में जाबांजी दिखाकर खुद को खतरे में डालना कितना सही है ?
- आतंकी हमले पर सबसे पहले पहुंचा हमारा चैनल ऐसा कई बार सुना होगा आपने .
- देश की आतंरिक सुरक्षा और आप की सुरक्षा के लिए कितना सही कदम है ये इस पर कुछ कहना बहुत मुश्किल है .
- भारतीय सेना देश की रक्षा करे या पत्रकारों की सवाल साफ़ है ?
- भारतीय सरकार कब इस मामले को गंभीरता से लेगी जो राष्ट्रीय सुरक्षा का अहित कर रही हो ?
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