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भारत ने प्रधानमंत्री मोदी के जम्मू-कश्मीर दौरे पर आपत्ति जताने वाले पाकिस्तान को करारा जवाब दिया है।

भारत ने प्रधानमंत्री मोदी के जम्मू-कश्मीर दौरे पर आपत्ति जताने वाले पाकिस्तान को करारा जवाब दिया है।

विदेश मंत्रालय ने कहा कि पाकिस्तान को प्रधानमंत्री मोदी के जम्मू-कश्मीर दौरे पर टिप्पणी करने का कोई हक नहीं है। दरअसल, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने पीएम मोदी के कश्मीर दौरे को ‘दिखावा’ बताया था। साथ ही चिनाब नदी पर रतले और क्वार पनबिजली परियोजनाओं के निर्माण की आधारशिला रखने पर आपत्ति जताते हुए कहा था कि यह सिंधु जल संधि का खुला उल्लंघन है।
इस मामले पर का जवाब देते हुए विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि प्रधानमंत्री के केंद्रशासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर के दौरे के मुद्दे पर, मुझे ‘दिखावा’ शब्द का मतलब समझ में नहीं आता है। इस शब्द से ऐसा लगता है कि यह दौरा हुआ नहीं था और हम यह दिखाने की कोशिश कर रहे हैं कि यह हुआ था। उन्होंने आगे कहा कि प्रधानमंत्री का जो स्वागत-सत्कार हुआ और आपने जो तस्वीरें देखीं उससे यह बिल्कुल साफ है। पीएम मोदी ने जिन विकास परियोजनाओं का उद्घाटन किया और धरातल पर जो बदलाव हुए हैं, वे प्रधानमंत्री की यात्रा को लेकर उठने वाले किसी भी सवाल का बिल्कुल साफ जवाब हैं। किसी भी स्थिति में पाकिस्तान को इस नजरिए से बात करने का कोई अधिकार नहीं है कि जम्मू कश्मीर में क्या हो रहा है।
आपको बता दे पीएम मोदी आर्टिकल 370 हटने के बाद पहली बार जम्मू-कश्मीर पहुंचे थे। इस दौरान पीएम मोदी ने अमृत सरोवर नाम की एक पहल भी शुरू की। पीएम ने ट्वीट कर कहा था- मैं अमृत सरोवर पहल का उद्घाटन करने के लिए उत्सुक हूं, जो हमारे जल निकायों को फिर से जीवित करने और पानी की हर बूंद को संरक्षित करने का सामूहिक प्रयास है। इसका उद्देश्य देश के प्रत्येक जिलों में 75 जल निकायों का विकास और कायाकल्प करना है। उन्होंने 3,100 करोड़ रुपए से अधिक की लागत से बनी बनिहाल-काजीगुंड रोड टनल का उद्घाटन भी किया था। 8.45 किलोमीटर लंबी सुरंग बनिहाल और काजीगुंड के बीच सड़क की दूरी को 16 किमी कम कर देगी और यात्रा के समय को लगभग डेढ़ घंटे कम करेगी।
इसके पहले शहबाज शरीफ ने भारत के साथ मिलकर काम करने की ख्वाहिश जताई थी। उन्होंने पीएम मोदी को लिखे एक पत्र में कहा था कि शांति और स्थिरता के लक्ष्य और जम्मू-कश्मीर समेत सभी विवादित मुद्दों को शांतिपूर्ण तरीके से हल किया जा सकता है। भारत पाकिस्तान के शांतिपूर्ण संबंध नागरिकों के सामाजिक-आर्थिक विकास लिए जरूरी हैं।

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