मझगांव डॉक लिमिटेड (एमडीएल) ने साफ किया है कि स्कॉर्पीन पनडुब्बी से संबंधित अहम जानकारियां उसकी ओर से लीक नहीं हुई हैं। इसके साथ ही एमडीएल ने कहा कि वह इस मामले की जांच में नौसेना की सहायता कर रही है। मालूम हो कि स्कॉर्पीन पनडुब्बी का निर्माण एमडीएल में ही किया जा रहा है।
- वहीं, भारत सरकार ने भी अपनी जांच में पाया है कि मुंबई स्थित मझगांव डॉक पर तैयार की जा रही स्कॉर्पीन पनडुब्बियों से जुड़े बेहद गोपनीय दस्तावेज़ भारत की तरफ से नहीं लीक हुए हैं।
- एमडीएल ने कहा कि हम यह पक्के तौर पर मानते हैं कि हमारी ओर से कोई जानकारी लीक नहीं हुई।
- लीक हुए दस्तावेज़ में इन पनडुब्बियों की युद्धक प्रणालियों से जुड़ी अहम जानकारियां भी शामिल हैं।
सरकार ने इस मामले में स्कॉर्पीन पनडुब्बी के फ्रांसीसी निर्माता डीसीएनएस से रिपोर्ट तलब की है। - भारत सरकार ने डीसीएनएस के साथ 3.5 अरब अमेरिकी डॉलर में ऐसी 6 पनडुब्बियां का सौदा किया था।
- एमडीएल के एक अधिकारी ने कहा कि आंकड़ों की सुरक्षा के लिए एमडीएल में कड़े मानक हैं।
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नौसेना ने जताया भरोसाः
- बुधवार को नौसेना सूत्रों ने इस बात पर पूरा भरोसा जताया था कि जिन दस्तावेजों का जिक्र किया जा रहा है, वे भारत में मौजूद सूत्रों ने नहीं लीक किया है।
- सूत्रों ने कहा था कि दस्तावेजों में जिस प्रणाली और खासियतों का उल्लेख किया गया है, वे 2011 के है।
- इसके साथ ही कहा गया है कि लीक के बावजूद इस प्रोजेक्ट की गोपनीयता खतरे में नहीं है।
- हालांकि इस पर कई विशेषज्ञों की राय अलग है।
- कुछ का मानना है जो सूचनाएं लीक हुईं हैं, उससे भारत को बड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।
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डीसीएनएस ने बताया साजिशः
- भारत सरकार में रक्षामंत्री मनोहर पर्रिकर ने इस लीक को ‘हैकिंग’ बताया था।
- प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी मामले की गंभीरता को देखते हुए बुधवार को ब्रीफिंग भी दी थी।
- वहीं, फ्रांसीसी डीसीएनएस ने कहा है कि यह लीक ‘आर्थिक जंग’ का परिणाम हो सकती है।
- डीसीएनएस ने कहा कि उनकी प्रतियोगी कंपनियां इस बात से बेचैन थी कि उन्हें ऑस्ट्रेलिया से लगभग 38 अरब डॉलर कीमत में 12 पनडुब्बियों का सौदा मिला था।