वीआईपी कल्चर के कारण आम लोगों को होने वाली समस्याओं को लेकर उठ रहे सवाल पर सरकार ने कहा कि वीआईपी और वीवीआईपी का दर्जा देने के लिए कोई सूची तैयार नहीं जाती है बल्कि खतरों की प्रकृति के आधार पर सुरक्षा प्रदान की जाती है।
खतरों के आधार पर दी जाती है सुरक्षा-
- गृह मंत्रालय से मिली जानकारी के अनुसार सरकार किसी को भी वीआईपी या वीवीआईपी का दर्जा देने के लिए सूची तैयार नहीं करती है।
- बल्कि खतरों की प्रकृति को देखते हुए सुरक्षा दी जाती है।
- बता दें कि गृह मंत्रालय से आरटीआई के तहत पूछा गया था कि कितने लोगों को वीआईपी या वीवीआईपी का दर्जा प्राप्त है और उन्हें क्या सुविधाएं दी जाती है।
- सरकार ने बताया कि किसी को भी वीआईपी का दर्जा नहीं दिया जाता।
- बल्कि खतरों के आधार पर सुरक्षा दी जाती है।
- हाल ही में राज्यसभा में वीआईपी कल्चर का मुद्दा उठाया गया था।
- समाजवादी पाटी सांसद नरेश अग्रवाल ने बताया कि पूरी दुनिया में वीआईपी कल्चर बंद है लेकिन अभी भी हमारे देश में यह जारी है।
वीआईपी कल्चर से आम लोग करते है दिक्कतों का सामना-
- वीआईपी कल्चर के कारण आम आदमी को खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।
- इससे जुड़ी घटनाएं भी सुर्खियों में बनी रहती है।
- हाल ही में वीआईपी कल्चर के कारण एक एंबुलेंस को रोका गया जिसमें एक घायल बच्चा तड़पता रहा।
- चेन्नई में इसी साल इसके कारण एक गर्भवती महिला की मौत हो गई थी।
यह भी पढ़ें: भारत ने पर्यटन सूचकांक में लगाई 12 पायदान की छलांग, 40वें स्थान पर पहुंचा!
यह भी पढ़ें: देश के 4 शीर्ष न्यायालयों पर काबिज हुई महिलाएं, रचा इतिहास!
UTTAR PRADESH NEWS की अन्य न्यूज पढऩे के लिए Facebook और Twitter पर फॉलो करें