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मेजर आर्या का आतंकी बुरहान वानी के समर्थकों के नाम खुला ख़त

major gaurav arya on burhan

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बुरहान वानी एक आतंकी था और उसका अंजाम भी वही हुआ। लेकिन उसकी मौत के बाद कश्मीर दो भागों में बंट गया। उसकी शव-यात्रा में हजारों की संख्या में भीड़ जुटी और भारत विरोधी नारे लगाये गए। बुरहान को एक शहीद और क्रांतिकारी बताकर सेना पर पत्थरबाजी शुरू हो गई।

इस घटना से के बाद सेना के मेजर गौरव आर्या ने एक खुला ख़त बुरहान समर्थकों के नाम लिखा जो कश्मीर को भारत से छीन लेने की बात करते हैं।

मेजर आर्या का खुला खत पढ़िए अगले पेज पर 

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पत्र में मेजर आर्या ने कहा है-

‘बुरहान, सेना के ऑपरेशन में तुम्हारे मारे जाने के बाद से 23 लोगों की जानें गई हैं। मुझे नहीं मालूम कि इनकी जानें क्यों गई।

शायद वो तुम्हारी मौत का बदला लेना चाहते थे और वो तुम्हारी मौत के बाद गहरे सदमें में थे। एक सिपाही को को वैन के साथ नदी में फेंक दिया गया और वो डूब गया। मैं उन मारे गए सारे लोगों के प्रति सहानुभूति रखता हूँ। तुम इसके पात्र हो सकते थे लेकिन इसमें तुम्हारे परिवार का कोई कसूर भी नहीं है।

तुम एक डॉक्टर, इंजिनियर या फिर सॉफ्टवेयर इंजिनियर हो सकते थे लेकिन तुम्हें सोशल मीडिया की लत लग गई जहाँ जल्दी ही प्रसिद्ध होने की लालसा तुम्हारे मन में जाग गई। मैं जानता हूँ कि अब बहुत देर हो चुकी है लेकिन तुमनें अपने भाई के साथ तस्वीरें पोस्ट की। राइफल कंधे पर लेकर जो की एकदम फ़िल्मी था। तस्वीरों में रेडियो सेट और बन्द्कों के साथ तस्वीरें भी थी।

तुम तो उसी दिन मर गए जब तुमने सोशल मीडिया पर ये सब करना शुरू कर दिए। तुमनें कश्मीरी युवकों को भारतीय सैनिकों को मारने के लिए उकसाया। ये सब तुमनें अपने फेसबुक अकाउंट की सेफ्टी की आड़ में किया। तुम्हारी फीमेल फैन फोलोविंग गजब की थी, और तुम सोशल मीडिया में छा रहे थे।

लेकिन कुछ लोग तुम्हे 24 घंटे ट्रैक कर रहे थे जिसकी तुम्हें कोई खबर नहीं थी। तुम 22 साल की उम्र में मारे गए और ना भी मारे गए होते तो 23 की उम्र में मारे जाते। केवल कैलेंडर की तारीख बदलती लेकिन तुम्हारा अंजाम तय था। हिंसा का इरादा रखने वाले का अंजाम यही होना था।

काश मैं तुमसे मिल पाता और तुमको बता पाता कि हुर्रियत के लोग कैसे कश्मीरी युवाओं को सेना से लड़ने के लिए भेज रहे हैं। ये लोग शेर के सामने मेमनों को भेजकर लड़ाई करना चाहते हैं और खून की होली खेलना चाहते हैं।

हुर्रियत के मुखिया गिलानी के किसी के रिश्तेदार का नाम बताओ जो सेना के खिलाफ लड़ने आया। गिलानी का लड़का नईम पाकिस्तान के रावलपिंडी में डॉक्टर है और ISI के संरक्षण में है। उसका दूसरा लड़का दिल्ली में रहता है जबकि उसकी लड़की राबिया अमरीका में डॉक्टर है।

आसिया आन्द्रावी और उसकी बहन अपने परिवार सहित मलेशिया में रहते हैं। ये सब कहीं न कहीं कश्मीर से बाहर सुकून से हैं और जिहादी बनाने के लिए दूसरों का इस्तेमाल करते हैं। कश्मीर के लोग गिलानी से नहीं पूछते कि उनके परिवार से कोई बुरहान क्यों नही निकलता।

1400 साल में पहली बार ऐसा हुआ कि चाँद देखने पर नहीं पाक की तरफ देखकर कश्मीर में ईद मनाई गई। पाकिस्तानी मीडिया खुश थी कि भारत के साथ ईद नहीं मनाई गई। इसे वो भारत की अखंडता पर प्रहार बता रहे थे।हुर्रियत के लोगों को कश्मीर और कश्मीरी आवाम की चिंता नहीं है। वो अपने परिवार को सुरक्षित रखकर दूसरों के खून से जिहाद की लड़ाई लड़ने की साजिश करते रहे हैं।

हुर्रियत को पता है कि कश्मीर दुनिया भर के लिए चर्चा का विषय है और ये झगड़े की जड़ है। वहीं पाकिस्तान भी इंडियन आर्मी को घाटी में फंसाकर रखने के लिए भरपूर मदद करता रहा है। तुम एक आतंकी और तुमने भी अपने अन्य साथियों की तरह भारत के खिलाफ लड़ना शुरू किया, लेकिन इसका अंजाम तुम्हारे लिए अच्छा नही हुआ।

अगर तुम भारतीय सेना के खिलाफ लड़ रहे हो तो ये जान लो, ’भारतीय सेना तुम्हें जान से मार देगी।’ तुम्हारे समर्थक भी खून चाहते हैं तो खून ही सही।

चियर्स

मेजर गौरव आर्या  

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