सर्जिकल स्ट्राइक के बाद पाकिस्तान की तरफ से आतंकवादिक गतिविधियाँ लगातार बढती जा रही हैं साथ ही पाकिस्तान लगातार भारतीय सीमा में घुसपैठ करने कि कोशिशों में लगा हुआ है । गौरतलब है कि इस समय भी भारतीय सेना के जवान जम्मू-कश्मीर के पास पंपोर में पिछले 48 घंटे से आतंकवादियों से लड़ रहे हैं । पाकिस्तान द्वारा की जा रही भारतीय सीमा में घुसपैठ की इस समस्या के देखते हुए सेना कि आर्डिनेंस विंग ने राजस्थान के रेगिस्तान में भारत-पाकिस्तान बॉर्डर पर बीएसएफ के जवानों को ट्रिप फ्लेयर तकनीक से लैस करना शुरू कर दिया है।
कैसे काम करती है ट्रिप फ्लेयर तकनीक ?
- राजस्थान के रेगिस्तान में भारत-पाकिस्तान बॉर्डर वाला इलाका काफी दुर्गम है।
- ऐसी जगहों पर पेट्रोलिंग करना आसान नहीं है ख़ास कर के रात के समय ।
- ट्रिप फ्लेयर ऐसी जगहों पर लगाया जाता है जहाँ घुसपैठ कि सम्भावना सब से ज्यादा हो।
- रेगिस्तान के इलाके में घुसपैंठ रोकने में ट्रिप फ्लेयर तकनीक बेहद कारगर है।
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- क्यों कि ट्रिप फ्लेयर से निकलने वाली तेज़ आवाज़ और रौशनी को दूर से देखा जा सकता है।
- दरअसल ट्रिप फ्लेयर में मिट्टी के रंग का पतला सा धागा रहता है।
- जो रेगिस्तान के धूल में दबा रहता है।
- जैसे ही किसी भी प्रकार का प्रेशर या लोड इस पर पड़ता है ये विस्फोट के साथ जलना शुरू कर देता है ।
- इससे निकलने वाली तेज़ रौशनी को रात के अंधेरे में वाच टावरों पर से आसानी से देखी जा सकता है ।
- ट्रिप फ्लेयर के जलते ही सेना तुरंत घुसपैठ वाली जगहों पर पहुँच कर घुसपैंठ रोक सकती है।
- ट्रीप फ्लेयर पहले वहीं लगाया जाता था जो इलाका घुसपैठ के लिहाज से संवेदनशील हो।
- मगर अब सेना द्वारा डीआरडीओ से इसे ज्यादा से ज्यादा संख्या में उपलब्ध करवाने के लिए कहा गया है।
- ताकि पूरी सीमा पर तारबंदी के नीचे इसे लगाया जा सके।
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