लोकसभा में भारतीय प्रबंधन संस्थान (आईआईएम) विधेयक, 2017 पर चर्चा हुई, जिसका उद्देश्य प्रमुख संस्थानों को ज्यादा स्वायत्तता प्रदान करना तथा उन्हें डिग्री देने में सक्षम बनाना है। विधेयक पेश करते हुए केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि हमें अपने संस्थानों पर भरोसा रखना चाहिए।
कांग्रेस नेता शशि थरूर ने विधेयक का किया स्वागत-
- विधेयक पर हुई चर्चा में शिरकत करते हुए कांग्रेस नेता शशि थरूर ने विधेयक का स्वागत किया और इन संस्थानों पर केंद्र सरकार का नियंत्रण कम करने के लिए सरकार को बधाई दी।
- उन्होंने कहा कि वह इस बात से चिंतित हैं कि सरकार शुल्क संरचना पर नियंत्रण का अधिकार संस्थानों को दे रही है।
- उन्होंने यह भी कहा कि विधेयक में आरक्षण का उल्लेख नहीं है।
- थरूर ने कहा कि मंत्री ने कहा कि इस पर देश का कानून लागू होगा।
- लेकिन पहले इसका विशेष तौर पर उल्लेख किया गया था।
- कांग्रेस नेता ने यह भी बताया कि वर्तमान में आईआईएम के कुल शिक्षकों में केवल दो अनुसूचित जाति से हैं।
- जबकि अनुसूचित जनजाति से एक भी शिक्षक नहीं है।
- थरूर ने विधेयक के माध्यम से आईआईएम शिलॉन्ग से पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी का नाम हटाने के लिए सरकार की आलोचना की।
- आईआईएम विधेयक मौजूदा 20 भारतीय प्रबंधन संस्थानों को राष्ट्रीय महत्ता का संस्थान घोषित करता है।
- साथ ही उन्हें डिग्री प्रदान करने की शक्ति देता है।
- बोर्ड ऑफ गवर्नर्स प्रत्येक आईआईएम का कार्यकारी निकाय होगा, जिसमें 19 सदस्य हो सकते हैं।
- यह बोर्ड के 17 सदस्यों को मनोनित करेगा, जिसमें प्रख्यात व्यक्तित्व, शिक्षक तथा पूर्व छात्र होंगे।
- बाकी दो सदस्य केंद्र सरकार तथा राज्य सरकार द्वारा मनोनीत व्यक्ति होंगे।
- बोर्ड अपने अध्यक्ष की नियुक्ति खुद करता है।
- बोर्ड ऑफ गवर्नर्स प्रत्येक आईआईएम का निदेशक नियुक्त करेगा।
- एक सर्च कमेटी निदेशक के पद के लिए नामों की सिफारिश करेगी।
- निदेशक वेतन में बदलाव करने में सक्षम होगा, जिसे बोर्ड तय करेगा।
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