उरी हमले ,सर्जिकल स्ट्राइक के बाद बढ़ते सीजफायर उल्लंघन और आतंकी हमलों से भारत-पाक के रिश्ते बहुत ही नाज़ुक दौर से गुज़र रहे हैं। ऐसे में भारत नें पाकिस्तान को सबक सिखाने के लिए शुक्रवार को उच्च स्तरीय टास्क-फोर्स की पहली बैठक की। इस बैठक में पाकिस्तान के साथ हुए सिंधु जल समझौते के तहत अपने हिस्से के पानी का पूरे इस्तेमाल पर विचार किया गया। बैठक के दौरान जम्मू कश्मीर और पंजाब में सिंधु नदी पर बनने वाले बांध के काम में तेजी लाने पर चर्चा की गई।
एक-एक बूंद पानी रोककर भारत के किसानों तक पहुंचाया जाएगा: पीएम मोदी
- पाकिस्तानको सबक सिखाने के लिए सिन्धु नदी के पानी के रोकने की भारत ने कवायेद शुरू कर दी है।
- प्रधानमंत्री के मुख्य सचिव नृपेंद्र मिश्र की अध्यक्षता में उच्च स्तरीय टास्क-फोर्स की पहली बैठक की गई।
- इस बैठक में जम्मू कश्मीर और पंजाब में सिंधु नदी पर बनने वाले बांध के काम में तेजी लाने पर चर्चा की गई।
- जिसके अंतर्गत J&K में प्रस्तावित पनबिजली परियोजना,
- सिंधु, झेलम व चेनाब नदी के पानी का ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल के लिए बड़े जलाशय बनाना,
- नहरें बनाने का काम तेज करने पर विशेष चर्चा की गई।
- बता दें कि इस बैठक का मकसद सिंधु समझौते के अंदर रहते हुए अपने हिस्से के पानी का पूरा इस्तेमाल करने के भारत के इरादे को दिखाना है।
- जिसके तहत पंजाब और जम्मू कश्मीर को जल्द से जल्द अपनी ग्राउंड रिपोर्ट देने को कहा गया है।
- बता दें की टास्क फोर्स की अगली बैठक जनवरी में होगी।
- ज्ञातव्य हो की पीएम मोदी ने इस संबंध में पंजाब के बठिंडा में कहा था ‘एक-एक बूंद पानी रोककर भारत के किसानों तक पहुंचाया जाएगा। “
- बता दें की पाकिस्तान के साथ सिन्धु जल समझौते पर 1960 में हस्ताक्षर किया गया था।
- जिसके तहत रावी, व्यास और सतलज नदी का पानी भारत के हिस्से में आया।
- जबकि सिंधु, झेलम और चेनाब का 80 फीसदी पानी पाकिस्तान के हिस्से में गया था।
- भारत का कहना है की उसने अपने हिस्से के पानी का इस्तेमाल नही किया है।
- इस लिए वो पश्चिमी नदियों के पानी को भी अपने इस्तेमाल के लिए रोक सकता है।
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