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15 अक्टूबर 1931 को धनुषकोडी गांव (रामेश्वरम, तमिलनाडु) में एक मध्यमवर्ग मुस्लिम परिवार में डॉ अब्दुल कलाम का जन्म हुआ था। उनके पिता जैनुलाब्दीन न तो ज़्यादा पढ़े-लिखे थे और ना आर्थिक स्थिति ही अच्छी थी। अब्दुल कलाम सयुंक्त परिवार में रहते थे।
अपने बचपन के दिनों में कलाम साहब को अपनी पढ़ाई जारी रखने के लिए अखबार भी बेचना पड़ा। सुबह की नमाज पढ़ने के बाद वह सुबह 8 बजे तक अखबार बेचते थे और फिर स्कूल चले जाते थे। रामेश्वरम के पंचायत प्राथमिक विद्यालय में प्राथमिक शिक्षा पूरी करने के बाद कलम साहब ने श्वार्ट्ज हाईस्कूल, रामनाथपुरम में प्रवेश लिया।
भारत रत्न से सम्मानित किये जा चुके कलाम साहब के जीवन को कुछ पन्नों और कुछ कहानियों में नही समेटा जा सकता है लेकिन उनके जीवन से जुड़ी 3 रोचक कहानियां बहुत कम ही लोग जानते हैं या यूँ कहिये कि कलाम साहब ने इन घटनाओं को अपने नाम से अमर कर दिया।
कलाम साहब की जिंदगी से जुड़ी रोचक कहानी अगले पेज पर
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1. डॉ कलाम ने अपनी किताब में एक घटना का जिक्र किया है जिसमें लिखा है कि जब वो SU-30 MKI एयर क्राफ्ट उड़ा रहे थे तो एयर क्राफ्ट के नीचे उतरने पर कई नौजवान और मीडिया के लोग उनसे बातें करने लगे थे। उनमें से किसी एक ने कहा कि आपको 74 साल की उम्र में सुपरसोनिक फाइटर एयरक्राफ्ट चलाने में डर नहीं लगा? डॉ कलाम ने जवाब जवाब दिया, ”40 मिनट की फ्लाइट के दौरान मैं यंत्रों को कंट्रोल करने में व्यस्त रहा और इस दौरान मैंने डर को अपने अंदर आने का समय ही नहीं दिया।”
2. एक बार डीआरडीओ में उनकी टीम बिल्डिंग की सुरक्षा को लेकर चर्चा कर रही थी। टीम ने सुझाव दिया कि बिल्डिंग की दीवार पर कांच के टुकड़े लगा देने चाहिए। लेकिन इसपर डॉ कलाम ने टीम के सुझाव को ठुकरा दिया और कहा कि अगर हम ऐसा करेंगे तो इस दीवार पर बैठने वाले पंक्षी कहाँ जायेंगे। इस विचार से कलाम साहब की मानवता साफ झलकती है।
3. एक बार कुछ नौजवानों ने डॉ कलाम से मिलने की इच्छा जताई। इसके लिए नौजवानों ने कलाम साहब के ऑफिस में पत्र लिखा। कलाम ने राष्ट्रपति भवन के पर्सनल चैंबर में उन युवाओं से न सिर्फ मुलाकात की बल्कि काफी समय उनके साथ गुजार कर उनके विचारों को भी सुना। यही नहीं डॉ कलाम ने पूरे भारत में घूमकर करीब 1 करोड़ 70 लाख युवाओं से मुलाकात की थी। कलाम साहब बच्चों के बीच बहुत लोकप्रिय थे।
कलाम साहब अपने बच्चों के प्रति प्रेम के लिए जाने जाते थे और वो अक्सर बच्चों के बीच अपना वक्त गुजारा करते थे। कलाम साहब कहते थे, बच्चे देश का भविष्य हैं, और इन्हें सवांरने की जरुरत है। भारत के राष्ट्रपति बनने के बाद सुरक्षा घेरे में होने के बावजूद वो समारोह आदि में बच्चों की भीड़ में जाकर उनसे बातें करने लगते थे। देश 27 जुलाई को आज कलाम साहब की पहली पुण्यतिथि मना रहा है। अपने सरल व्यवहार के कारण कलाम साहब लोगों के दिलों में आज भी जिन्दा हैं।
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