यूपी धार्मिक नगरी वाराणसी का सारनाथ, वह पावन स्थल है जहाँ भगवान बुद्ध ने पहली बार धर्म की शिक्षा दी थी और यही वह जगह है जहाँ पहली बार बुद्ध संघ अस्तित्व में आया था। भारत सरकार को भगवान बुद्ध के ”अप दीपो भव” यानी कि खुद से प्रकाशवान बनो वाक्य के अर्थ में विश्वास जाग उठा है। बुद्ध का ये उपदेश सरकार को प्रेरित कर रहा है।,
- वर्तमान में भगवान बुद्ध के दुनिया भर में 50 करोड़ से ज्यादा बौद्ध अनुयायी हैं।
- बौद्ध अनुयायियों का भारत की तरफ हमेशा से झुकाव रहा है।
- भारत के पास भी बौद्ध पर्यटकों के लिए बहुत कुछ है, लेकिन अब तक सरकार बौद्ध पर्यटकों को अपने यहां लाने में सफल नहीं रही है।
- अब केंद्रीय पर्यटन मंत्रालय ने उत्तरप्रदेश और बिहार की सरकार के साथ मिलकर अन्तर्राष्ट्रीय बुद्धिस्ट संघ को आकर्षित करने की दिशा में काम करना शुरू कर दिया है।
- इसी मकसद के साथ अंतरराष्ट्रीय बौद्ध समागम या इंटरनेशनल बुद्धिस्ट कॉन्क्लेव की शुरुआत हुई।
पहले भी हुए हैं समागमः
- इससे पहले वर्ष 2004 में दिल्ली और बोधगया में बौद्ध समागम का आयोजन किया जा चुका है।
- दूसरा बौद्ध समागम 2010 में बिहार के नालंदा में आयोजित हुआ।
- वहीं, तीसरा इंटरनेशनल बुद्धिस्ट कॉन्क्लेव 2012 में वाराणसी में सम्पन्न हुआ था।
- इसके बाद 2014 में चौथा समागम इस बार फिर बुद्ध की नगरी बोधगया में हुआ।
- अब 3 अक्टूबर से 5 अक्टूबर के बीच वाराणसी के सारनाथ में पांचवा बौद्ध कॉन्क्लेव चल रहा है।
समागम का उद्देश्यः
- इस समागम के जरिये भगवान बुद्ध के अनुयायियों को उनके जीवन दर्शन से परिचित कराया जा रहा है।
- भगवान बुद्ध के दर्शन और उपदेशों को समझाने के लिए इंटरनेशनल बुद्धिस्ट कॉन्क्लेव करागार रहा है।
- भारत से सांस्कृतिक जुड़ाव होने के कारण आज प्रत्येक वर्ष करीब तीन लाख बौद्ध पर्यटक बनारस और कुशीनगर आते हैं।
- सरकार की महत्वकांक्षा है कि इस संख्या को दस गुना अधिक बढ़ाया जाए।
- साथ ही बौद्ध समागम के जरिये भारत सरकार कई देशों के साथ कूटनीतिक संबंध भी स्थापित कर सकती है।
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इन देशों पर है भारत की नजरः
- थाईलैंड- यहां 95.00% बौद्ध धर्म के अनुयायी रहते हैं।
- कम्बोडिया- यहां 90% बौद्ध धर्म के अनुयायी रहते हैं।
- म्यांमार- यहां 88% बौद्ध धर्म के अनुयायी रहते हैं।
- भूटान- यहां 75% बौद्ध धर्म के अनुयायी रहते हैं।
- श्रीलंका- यहां 70% बौद्ध धर्म के अनुयायी रहते हैं।
- तिब्बत- यहां 65% बौद्ध धर्म के अनुयायी रहते हैं।
- लाओस- यहां 60% बौद्ध धर्म के अनुयायी रहते हैं।
- वियतनाम- यहां 55% बौद्ध धर्म के अनुयायी रहते हैं।
- जापान- यहां 50% बौद्ध धर्म के अनुयायी रहते हैं।
- मकाउ- यहां 45% बौद्ध धर्म के अनुयायी रहते हैं।
- ताइवान- यहां 43% बौद्ध धर्म के अनुयायी रहते हैं।
बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर राष्ट्रपति और मुख्यमंत्री ने दी बधाई।
भारत में प्रमुख बौद्ध स्थलः
सरकार द्वारा भगवान बुद्ध के जीवकाल से जुड़े स्थलों को विकसित करने के लिए बुद्धिस्ट सर्किट परियोजना चलाई जा रही है। बुद्धिस्ट सर्किट परियोजना के 8 प्रमुख स्थलों में से 6 यूपी में ही स्थित हैं।
- कपिलवस्तुः– कपिलवस्तु वह स्थान है जहां भगवान बुद्ध ने राजकुमार सिद्धार्थ के रूप में अपना बाल्यकाल गुजारा था।
- सारनाथः– भगवान बुद्ध ने सारनाथ में पहला उपदेश दिया था। यह वहीं स्थान है जहां बुद्ध ने पहली बार शिक्षा दी।
- श्रावस्तीः– यूपी के श्रावस्ती में बुद्ध ने अपने जीवन के 24 वर्ष प्रवास के तौर पर बिताये थें।
- संकिसाः– संकिसा बरेली के पास का एक स्थान है जहां बुद्ध ने अपनी चमत्कारिक शक्तियों का प्रदर्शन किया था।
- कौशाम्बीः– यह वह स्थान है जहां बुद्ध ज्ञान प्राप्ति के बाद 6वें और 9वें साल आयें थें।
- कुशीनगरः– कुशीनगर को भगवान बुद्ध की महापरिनिर्वाण स्थली के रूप में पहचाना जाता है।
- बोधगयाः– बोधगया बिहार राज्य का वह स्थान है जहां बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति हुई थी।
- लुम्बिनीः– लुम्बिनी वर्तमान समय में नेपाल मं स्थित है।
इसके बाद भगवान बुद्ध ने 45 देशों का भ्रमण किया। अब ये देश बुद्ध से जुड़े छोटे-छोटे स्थानों को विकसित कर रहें हैं। इन देशों ने भी सारनाथ के बौद्ध समागम में शिरकत की है, जिससे बौद्ध पर्यटक उनकी ओर भी आकर्षित हों।
बताया काशी का महत्वः
- इन विदेशी मेहमानों के स्वागत में दशाश्वमेध घाट पर होने वाली विश्वप्रसिद्ध गंगा आरती का नजारा कुछ खास रहा।
- विशेष गंगा आरती विश्व के लगभग ३६ देशों से आये तीन सौ डेलिगेटस को समर्पित रही।
- पांचवे दिन सारनाथ में आयोजित अन्तर्राष्ट्रीय बौद्ध कनक्लेव में सिरकत करने के लिए 40 देशों के 310 डेलीगेट्स आये हैं।
- इन विदेशी मेहमानों का स्वागत करने के लिए और काशी के परम्परा से रूबरू कराने के लिए आज की गंगा आरती को महाआरती का भव्य रुप दिया गया।
- काशी घाट पर होने वाली यह गंगा आरती काशी की परंपरा को दर्शाती है जो बहुत मनमोहक है।
- पर्यटक और बौद्ध धर्म के भिक्षुक दोनों ही ऐसे प्रयास की सराहना करते दिखें।
सारनाथ में संपन्न हुआ अन्तराष्ट्रीय बुद्धिस्ट कॉन्क्लेव का पहला दिन!
बुद्ध अनुयायियों ने लिया पैनल चर्चा में भाग :
- आपको बता दें कि सारनाथ में होने वाले इस आयोजन में कई दिग्गजों ने भाग लिया।
- इसके अलावा इस दौरान हुई पैनल चर्चा में विभिन्न देशों के बुद्ध अनुयायी भी मौजूद रहे।
- इस आयोजन में कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा हुई जिसने सबका ध्यान आकर्षित किया।
- उत्तरप्रदेश सरकार की मेजबानी में सारनाथ में हो रहे पांचवे समागम में मुख्य अतिथि केंद्रीय पर्यटन मंत्री थे।
- केन्द्रीय पर्यटन के सेक्रेटरी विनोद ज़ुत्शी ने बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर का मुद्दा उठाया।
- इस दौरान केंद्रीय पर्यटन सचिव विनोद जुत्शी और राज्य पर्यटन विभाग के सचिव नवनीत सहगल में अच्छा तालमेल दिखाई दिया।
- इसके साथ ही विश्व पर्यटन संगठन के कार्यकारी निर्देशक मर्चियो फविल्लो ने भी अपने विचार रखे।
- जिसके तहत उन्होंने सरकारी व प्राइवेट संस्थाओं को साथ में रहकर काम करने का सुझाव दिया।
- इसके अलावा पर्यटन मंत्रालय की अपर निर्देशक मिनाक्षी शर्मा ने भगवान बुद्ध के जीवन पर प्रकाश डाला।
- जिसके बाद यूपी पर्यटन के प्रधान सेक्रेटरी व डीजी नवनीत सहगल ने उन्हें बधाई दी।
- इसके साथ ही इस आयोजन में भारत-बुद्ध की धरती विषय पर भी चर्चा हुई।
- साथ ही सारनाथ को बुद्ध पर्यटन का हब बनाने पर भी चर्चा की गयी।
काशी में ‘अंतर्राष्ट्रीय बुद्धिस्ट कॉन्क्लेव’, 32 देशों के 300 बौद्ध अनुयायी होंगे शामिल!
पर्यटन मंत्रालय ने बनायी 500 करोड़ की योजनाः
- केन्द्र सरकार ने भगवान बुद्ध के धार्मिक-आध्यात्मिक बुद्ध सर्किट को विकसित करने का निर्णय लिया है।
- बुद्ध सर्किट के लिए केन्द्रीय पर्यटन मंत्रालय ने 500 करोड़ की योजना बनाई है।
- जिसमें 300 करोड़ रूपये बुद्ध सर्किट के पर्यटन स्थलों को विकसित करने में खर्च होंगे।
- वही, 200 करोड़ रूपये आधारभूत संरचना के विकास में खर्च होंगे।
- बुद्ध के जीवन से जुडी घटनाओं को लाइट एंड साउंड के माध्यम से दिखाया जाएगा।
- बौद्ध पर्यटन स्थलों के सौन्दर्यीकरण के लिए प्रसाद योजना बनायी गयी है।
- इसके अलावा बुद्धा थीम पार्क और धम्मेख व चौखंडी स्तूप सरीखी कई योजनाएं बौद्ध अनुयायियों को आकर्षित कर रही हैं।
- खास बात ये है कि ये योजनाएं केन्द्र और राज्य सरकारों के सहयोग से पूरी की जाएंगी।