कंधार इंडियन एयरलाइंस हाइजैक मामले को लेकर 17 साल बाद एक बड़ा खुलासा हुआ है। राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल का कहना है कि काठमांडू से दिल्ली के लिए उड़ान भर रही IC 814 फ्लाइट को हाइजैक करने में पाकिस्तान खुफिया एजेंसी आईएसआई (ISI) का सपोर्ट मिला था।
हाइजैकर्स को ISI का समर्थन :
- राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल ने इस बात का खुलासा एक खिताब के जरिये किया है।
- यह किताब मायरा मैकडॉनल्ड की है।
- जिसका नाम ‘डिफीट इज ऐन ऑर्फन- हाउ पाकिस्तान लॉस्ट द ग्रेट साउथ एशियन वॉर’ है।
- मायरा मैकडॉनल्ड न्यूज एजेंसी रायटर्स की पूर्व इंडिया ब्यूरो चीफ थी, जिन्होंने यह किताब लिखीं।
- इस खिताब के जरिये अजित डोभाल ने बताया कि दिसंबर 1999 में हुए इस विमान हाइजैक में ISI के समर्थन की वजह से बंधक संकट काफी लंबा खींचा।
- उन्होंने सीधे तौर पर आरोप लगाया कि अगर ISI का समर्थन नहीं होता, तो भारत जल्द ही इससे निपट लेता।
हाइजैकर्स के साथ खड़े थे ISI अधिकारी :
- अजित डोभाल ने भी हाइजैकर्स से बंधकों को छुड़ाने के लिए बात करने वाले अधिकारियों में से एक थे।
- उन्होंने बताया, कंधार में विमान के पास भारतीय टीम आतंकियों से बात करने पहुंची थी,
- उस दौरान आतंकियों व हाइजैकर्स के साथ आईएसआई के दो अधिकारी भी खड़े थे।
- यह बात बेहद चौकाने वाली थी।
- ISI के उन अधिकारियों में एक लेफ्टिनेंट कर्नल और दूसरा मेजर रैंक का था।
- भारतीय टीम को इस दौरान यह भी पता चला कि हाइजैकर्स सीधे ISI के अधिकारियों से बात कर रहे थे।
आईएसआई बना सबसे बड़ा रोड़ा :
- डोभाल ने खुलासा किया कि उस वक्त हम हाइजैकर्स पर जो दबाव बना रहें थे, ISI ने उसे विफल कर दिया था।
- इसके बाद आखिरकार भारत को मसूद अजहर, अहमद उमर सईद शेख और मुस्ताक जरगर आतंकियों को को रिहा करना पड़ा।
- इसके बाद जाकर विमान को हाइजैकर्स से मुक्त कराया जा सका।
- हालांकि इस दौरान हाइजैकर्स ने विमान में भारतीय यात्री रुपन कात्याल की हत्या कर दी थी।
खौफनाक 7 दिन :
- जानकारी हो कि 24 दिसंबर 1999 को इंडियन एयरलाइंस की फ्लाइट IC-814 को हाइजैक कर लिया गया था।
- यह विमान काठमांडू से दिल्ली के लिए वापसी उड़ान भर रहा था।
- इस विमान में 176 यात्री व 15 क्रू मैंबर सवार थे।
- इस विमान को हाइजैक करने के बाद हाइजैकर्स दिल्ली की जगह अमृतसर ले गए।
- लाहौर, दुबई में कुछ देर रुकने के बाद अफगानिस्तान के कंधार में आतंकियों के बीच विमान को रखा गया।
- विमान में 7 दिन तक यात्रियों के टॉर्चर सहन करते रहें।
- भारत द्वारा तीन आंतकियों के छोड़ने जाने के बाद ही 31 दिसंबर 1999 को विमान आतंकियों के कब्जे से छुड़ा़ जा सका।