जलदूत एक्सप्रेस से लातूर पानी पहुंचाने का काम 11 अप्रैल से शुरू हुआ था। पहली बार ट्रेन को लातूर पहुँचने में 17 घंटे लगे थे। बुधवार से पहले 10 वैगनों वाली ट्रेन ने लातूर के नौ फेरे लगाए थे, जिसमे हर फेरे में 5 लाख लीटर पानी लातूर पहुंचाया गया था। 50 वैगनों वाली जलदूत ट्रेन ने बुधवार को 25 लाख लीटर पानी लातूर पहुंचाया था। फिलहाल ट्रेन को मिराज और लातूर के बीच की दूरी तय करने में 8-9 घंटे लगते हैं।
इस परियोजना में इनका रहा प्रमुख योगदान:
- इस ट्रेन को जलदूत नाम पुणे रेल मंडल प्रबंधक बी. के. दादाभोय ने दिया।
- पानी से भरी हुई इस ट्रेन को चलाने का विचार भाजपा नेता और रेलवे समिति के सदस्य मकरंद देशपांडे ने रखा था।
- महाराष्ट्र सरकार ने इस परियोजना के 3 करोड़ रूपये मंजूर किये हैं।
- राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ जनकल्याण समिति के शिवदास मितकारी ने कहा कि हमने इस परियोजना के लिए लोगों, उद्योगपतियों, व्यापारियों और सामाजिक संगठनों के जरिये लगभग 3 करोड़ रूपये इकट्ठे किये हैं।
- इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने भी लातूर के लिए Rs.51 लाख रूपये का योगदान दिया है।
- जनकल्याण समिति अब तक 11 लाख रूपये का योगदान दे चुकी है।
जनवरी 2013 में महाराष्ट्र सरकार ने पहली बार सूखाग्रस्त इलाकों में पानी से भरी हुई ट्रेन भेजने का विचार किया था।
स्टेशन और डेम के बीच बिछाई गई पाइपलाइन:
- डेम और मिराज रेलवे स्टेशन के बीच की दूरी लगभग 2.7 किलोमीटर है।
- डेम से रेलवे स्टेशन तक पानी पहुंचाने के पाइपलाइन बिछायी गई है।
- इस पाइपलाइन को बिछाने में लगभग 1.82 करोड़ रूपये का खर्च आया है।
- पाइपलाइन को डेम से स्टेशन तक पहुंचाने के लिए 2 हाइवे और 6 रेलवे स्टेशन के नीचे से निकाला गया है।
- एक मराठी न्यूज़ पेपर के मुताबिक यह कार्य 18 महीने का था, जिसे 9 दिन में पूरा किया गया है।
भारतीय रेल और लातूर के स्थानीय अधिकारी जल्द ही प्रति वैगन 50,000 लीटर पानी वाली 50 वैगन वाली ट्रेन चलाने का प्रबन्ध कर रहे हैं। मिराज और लातूर के बीच की दूरी लगभग 342 किलोमीटर है। जलदूत के जरिये लातूर में अब तक 70 लाख लीटर पानी पहुंचाया जा चुका है।