जिस तरह आज पूरा देश बैसाखी का त्यौहार मना रहा है, ठीक उसी तरह 98 साल पहले भी पूरा देश आज के दिन इस त्यौहार को मना रहा था। लेकिन 98 साल पहले अमृतसर में बैसाखी के दिन ब्रिटिश हूकूमत ने भारतीयों के साथ ऐसी बर्बरता, ऐसा नरसंहार किया था कि यह दिन इतिहास के काले पन्ने में दर्ज हो गया। जिसके बाद से हर साल को बैसाखी के दिन याद आता है जलियांवाला बाग और जलियांवाला बाग हत्याकांड।
13 अप्रैल 1919 की बैसाखी :
- 13 अप्रैल 1919 को बैसाखी के दिन अमृतसर शहर में मेला लगा हुआ था, जो सैकड़ों साल से लग रहा है।
- इसी दिन अमृतसर के जलियांवाला बाग में रोलेट एक्ट के विरोध में एक सभा रखी गई गई थी।
- साथ ही अंग्रेजों की दमनकारी नीतियों व दो नेताओं सत्यपाल और सैफ़ूद्दीन किचलू की गिरफ्तारी
- के विरोध में भी सभा रखी गई गई थी, जिसमें कुछ नेता भाषण देने वाले थे।
- पूरे शहर में कर्फ्यू लगने के बावजूद सैंकड़ों लोग ऐसे भी थे,
- जो बैसाखी के मौके पर परिवार के साथ मेला देखने और शहर घूमने आए थे।
- सभा की जानकारी मिलते ही मेला घूमने आए लोग जलियांवाला बाग में पहुंचे थे।
- नेता बाग में पड़ी रोड़ियों के ढेर पर खड़े हो कर हजारों की संख्या में मौजूद लोगों को संबोधित कर रहे थे।
- तभी ब्रिगेडियर जनरल रेजीनॉल्ड डायर ने 90 ब्रिटिश सैनिकों को लेकर वहां पहुँच गया।
- नेताओं ने जब ब्रटिश सैनिकों और उनके हाथों में भरी हुई राइफलें देखीं तो उन्होंने वहां मौजूद लोगों से शांत बैठे रहने के लिए कहा।
10 मिनट में चलाई 1650 राउंड गोली :
- ब्रिटिश सैनिकों ने बाग को घेर कर बिना कोई चेतावनी दिए निहत्थे लोगों पर गोलियाँ चलानी शुरु कर दीं।
- 10 मिनट में कुल 1650 राउंड गोलियां चलाई गईं।
- जलियांवाला बाग उस समय मकानों के पीछे पड़ा एक खाली मैदान था।
- वहां तक जाने या बाहर निकलने के लिए केवल एक संकरा रास्ता था और चारों ओर मकान थे।
- भागने का कोई रास्ता नहीं मिलता देख कुछ लोग जान बचाने के लिए मैदान में मौजूद एकमात्र कुएं में कूद गए।
- पर देखते ही देखते वह कुआं भी लाशों से पट गया।
- इस नरसंहार में सरकारी आकड़ें के मुताबिक 200 लोग घायल हुए और 379 की जाने गईं।
- जबकि अनाधिकारिक आंकड़ों के अनुसार इस घटना में 1000 से अधिक लोग मारे गए और 2000 से अधिक घायल हुए थे।
इस नरसंहार ने पूरी दुनिया में मचाया भूचाल:
- जलियांवाला बांग कांड के बाद देश और दुनिया में भूचाल आ गया।
- घटना से आहत आक्रोशित देशवासियों ने स्वतंत्रता आंदोलन में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेना शुरू कर दिया था।
- जिसके बाद इस घटना की जांच के लिए हंटर कमीशन बनाया गया।
- बताया जाता है कि इस घटना के बाद रवीन्द्रनाथ टैगोर ने विरोध स्वरूप अपनी नाइटहुड उपाधि लौटा दी थी।
- इस घटना के बाद जनरल डायर ब्रिटेन लौट गया क्योंकि उसे निलंबित कर दिया गया था।
- सरदार उधम सिंह के आंखों के सामने घटनाक्रम हुआ था, इसलिए उन्होंने शपथ ली कि,
- 1919 में पंजाब के तत्कालीन ब्रिटिश लेफ्टिनेण्ट गवर्नर माइकल ओ डायर
- जिसने घटना को सही ठहराया था, उसे मारकर इस घटना का बदला लेंगे।
- 13 मार्च 1940 को उधम सिंह लंदन के काक्सटन हॉल में जाकर 1500 देशवासियों के नरसंहार का बदला माइकल ओडायर की हत्या करके ले लिया।
- जिसके बाद ऊधम सिंह को 31 जुलाई 1940 को लंदन के पेंटोन विल्ले जेल में फांसी दे दी गई।
- ज्ञात हो कि इस कुकृत्य के लिए जलियांवाला बाग का कसाई कहे जाने वाले डायर की 1927 में प्राकृतिक मृत्यु हो गई।