हाल ही में तमिलनाडु के अपोलो अस्पताल में ऐसा द्रश्य देखने को मिला जिससे यह साफ़ कहा जा सकता है की स्वर्गीय जयललिता तमिलनाडु में किसी देवी से कम नहीं थी. परन्तु इसके पीछे ऐसा क्या कारण है जो तमिलनाडु जैसे पित्रसत्तात्मक राज्य में अम्मा को माँ और देवी का दर्जा दिया गया ?
बहुमुखी प्रतिभा की धनि थी अम्मा :
- तमिलनाडु में देवी माने जाने वाली अम्मा हमेशा से ही एक वकील बनना चाहती थीं.
- परन्तु उनकी माँ तमिल फ़िल्मी जगत में एक अभिनेत्री थी और जया से भी यही उम्मीद करती थीं.
- जिसके बाद जया ने बहुत ही कम उम्र में फ़िल्मी जगत से नाता जोड़ा था.
- उन्होंने करीब 140 फिल्मे की थीं जिनका सार हमेशा से ही औरत व् उसके जीवन को दर्शाता था.
- तमिल सिनेमा की गोल्डन गर्ल कही जाने वाली जया ने तमिल सिनेमा को एक नयी दिशा दिखाई थी.
- जिसके बाद उन्होंने AIADMK की प्रोपोगंडा सेक्रेटरी की हैसियत से पेंन्नीं पेरुमई भाषण दिया.
- इस भाषण का अर्थ को अगर समझे तो इसमें औरत की महानता का बखान किया गया था.
- यहाँ तत्कालीन मुख्यमंत्री मरुदुर गोपालन रामचंद्रन ने जया की प्रतिभा को पहचाना.
- जिसके बाद उन्होंने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत की.
झेली थी यातनाएं :
- बताया जता है की जिस तरह द्रौपदी के कारण महाभारत का युद्ध हो स्थितियों में परिवर्तन आया था.
- इसी तरह अम्मा के मुख्यमंत्री बनने के बाद एक नए दौर की शुरुआत हुई थी.
- इसके अलावा उन्होंने अपने राजनैतिक काल में काफी ज़ुल्म भी सहे.
- चाहे उनका बजट सत्र में DMK के नेताओं द्वारा बदसलूकी किये जाना हो.
- या फिर अपने गुरु MGR की म्रत्यु पर उनको शारीरिक व् मानसिक यातनाएं देना हो.
- परन्तु इन सब के बावजूब वे अपने लक्ष्य से डिगी नहीं और फिर लोगो की सोच में परिवर्तन की शुरुआत हुई.
- सन 1991 में उन्होंने पहली बार जीत हासिल कर उन्होंने अपने पद की शपथ ली.
- जिसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़ कर नहीं देखा और तमिलनाडु को उनकी देवी मिल गयी थीं.
- उनके जनहित में किये गए अनगिनत काम बार बार उन्हें जीत दिलाले रहे.
- इसके साथ ही अब तमिलनाडु में जया को माँ की तरह देखा जाने लगा था.
- उनके जाने के बाद जैसे एक सदी का अंत तो ज़रूर हुआ है परन्तु वे हमेशा एक देवी की तरह पूजी जायेंगी.
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