हुर्रियत कांफ्रेंस के नेता सैय्यद अली शाह गिलानी के पोते को सरकार ने बतौर रिसर्च ऑफिसर नियुक्त किया है.ये नियुक्ति नियमों को ताख पर रख कर की गयी है. मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने इस नियुक्ति की जानकारी सरकारी एजेंसियों को नहीं दी. इन आरोपों पर पर गिलानी ने सफाई देते हुए आरोपों से साफ़ इनकार किया है.
एक लाख तनख्वाह और पेंशन की सुविधा
- गत वर्ष जब घाटी में अलगाववादी आन्दोलन ज़ोरों पर था.
- उस वक़्त हुर्रियत कांफ्रेंस के पाकिस्तान परस्त नेता सैय्यद अली शाह गिलानी के पोते को
- इस नौकरी को बिना कायदे कानूनों से नवाज़ा गया था.
- एक लाख की तनख्वाह और पेंशन जैसी सुविधाओं युक्त ये पद है.
- सूत्रों के अनुसार पीडीपी-बीजेपी गठबंधन के दौरान इस नियुक्ति को अंजाम दिया गया है.
- अनीस उल इस्लाम को जम्मू-कश्मीर पर्यटन विभाग में बतौर रिसर्च ऑफिसर चुना गया है.
पब्लिक सर्विस कमीशन से नहीं हुआ चुनाव
- नियम अनुसार इस पद की भर्ती पब्लिक सर्विस कमीशन करती है.
- लेकिन इस नियुक्ति में कोई नियम कानून का पालन नहीं किया गया.
- एसकेआईसीसी के एक अधिकारी ने दिए इंटरव्यू में खुलासा किया कि
- पर्यटन सचिव फारुक शाह द्वारा गिलानी के पोते का चुनाव पहले ही कर लिया था.
प्रशासन का आरोपों से साफ़ इनकार
- जब फारूक शाह से इसपर प्रश्न किया गया तो उन्होनें इसके उलट बोला.
- उन्होंने कहा नियमों के अनुसार चयन योग्यता के आधार पर किया गया है.
- इस पद पर 140 उम्मीदवारों का आवेदन आया था.
- लेकिन कई आवेदकों का कहना है उन्हें तो उन्हें इंटरव्यू के लिए बुलाया ही नहीं गया.
आरोपों पर गिलानी की सफाई
- हुर्रियत कांफ्रेंस के नेता सैय्यद अली शाह गिलानी ने अपने पोते की
- नियुक्ति पर लग रही अटकलों से साफ़ इनकार किया है.
- उन्होनें कहा कि सैय्यद अली शाह की नियुक्ति मेरिट अनुसार हुई थी.
आरोपों से घिरे सैय्यद अली शाह गिलानी के पोते
- सैय्यद अली शाह के पोते का नाम अनीस उल इस्लाम है.
- अनीस ने जालंधर से एमबीए की डिग्री हासिल की है.
- साल 2009 में किन्हीं आरोपों के चलते उन्हें पासपोर्ट नहीं मिला पाया था.
- सीआईडी द्वारा दाखिल रिपोर्ट के अनुसार उनपर कई आरोप लगे हैं.
- कोर्ट के दखल के बाद उन्हें पासपोर्ट तो मिल गया है पर अब तक वेतन नहीं मिल पाया हुई.
- सीबीआई द्वारा उन्हें आरोपों से मुक्त नहीं किया गया है.
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