बाल मजदूरी के खिलाफ देशभर आदोंलन खड़ा करने वाले नोवल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी ने बाल श्रम विधेयक को लेकर अपनी टिप्पणी देते हुए कहा कि बाल श्रम विधेयक को बच्चों के लिए खोया हुआ अवसर है। सत्यार्थी ने कहा कि उन्हें उम्मीद थी कि नेता अपने वोटों से कहीं ज़्यादा स्वतंत्रता और बचपन को अहमियत देंगे।
अपनी बात को आग बढ़ाते हुए सत्यार्थी ने कहा कि देश के बच्चों के लिए बाल श्रम विधेयक एक खोया हुए अवसर की तरह है। अब समय आ गया है कि देश के नेता अपने वोटो से अधिक इस बात पर ध्यान दे कि देश में तमाम सुख सुविधायें से वचिंंत रहने वाले बच्चो को उनका हक मिल पा रहा है कि नही।
जैसा कि आपको मालुम होगा कि बाल श्रम विधेयक के अनुसार 14 साल से कम उम्र के बच्चे को अपने परिवार की मदद को छोड़ कर किसी और काम के लिए नियुक्त करने वालों को दो साल तक की जेल की सज़ा मिलेगी। संसद ने इस विधेयक को मंज़ूरी दे दी है। इस विधेयक के आने से उन बच्चों का जीवन आसान हो सकता है जिनको उनके ही मांं-बाप ऐसे कामों में डाल देेते है जिसकी वजह से उनका बचपन बर्बाद हो जाता है।
गौरतलब है कि सत्यार्थी ने विधेयक के कई प्रावधानों का सख्त विरोध किया है और श्रम मंत्री के समक्ष अपना विरोध दर्ज कराया था। हालांकि, उन्होंने इसके खिलाफ बोलने वाले नेता वरूण गांधी सहित अन्य सांसदों की सराहना की। वरूण ने प्रस्तावित संशोधनों को बेवकूफी भरा बताया है।