कर्नाटक चुनाव से पहले लिंगायत समुदाय को लेकर भाजपा और कांग्रेस में हो रही खींचतान में कांग्रेस की जीत नजर आने लगी है. चुनाव से पहले मुख्मंत्री सिद्धारमैया का लिंगायत धर्म को अलग दर्जा देने वाला दांव काम कर गया. कर्नाटक में लिंगायत समाज के मठाधीशों की सबसे बड़ी संस्था ‘फ़ोरम ऑफ़ लिंगायत महाधिपति’ ने बीते दिन आधिकारिक तौर पर घोषणा की है कि आने वाले विधानसभा चुनावों में उनका समाज कांग्रेस का समर्थन करेगा. गौरतलब है कि 12 मई को कर्नाटक में चुनाव होनेवाले हैं.
सिद्धारमैया ने लिंगायत को अलग दर्जा देने का किया है वादा:
लिंगायत समुदाय भाजपा का परंपरागत मतदाता रहा है. इस समुदाय का भाजपा को 90 के दशक से ही समर्थन मिलता आ आ रहा है। राज्य की 224 विधानसभा सीटों में से 100 से अधिक सीटों पर इस समुदाय का प्रभाव है. भाजपा के मुख्यमंत्री उम्मीदवार बीएस येदियुरप्पा भी इसी समुदाय से आते हैं. कर्नाटक में लिंगायत समुदाय के लोगों की संख्या करीब 18 प्रतिशत है. इसीलिए लिंगायत समुदाय को अपनी तरफ करने के लिए दोनों ही पार्टियाँ पुरजोर कोशिश में है.
इसी कोशिश के तहत कांग्रेस के सिद्धारमैया में लिंगायत को अलग धर्म का दर्जा देने की बात की थी. उनके इस एलान के बाद भाजपा भी सकपका गयी. लिंगायत समुदाय कांग्रेस की तरफ ना चले जाये इसीलिए भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने कांग्रेस पर जातिवाद की राजनीति करने और धर्म को बांटने का आरोप लगाते हुए कहा की केंद्र सरकार उनको इसलि इजाजत नही देगी. शाह का यह पैतरा कांग्रेस की छवि खराब करने का था. पर हुआ कुछ उल्टा ही.
लिंगायत समाज के मठाधीशो ने कहा देंगे सिद्धारमैया का साथ:
लिंगायत समुदाय के 30 प्रभावशाली गुरुओं ने कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया को समर्थन देने का एलान कर दिया है. इसकी मुख्य वजह प्रदेश सरकार द्वारा लिंगायत को अल्पसंख्यक धर्म का दर्जा देने का फैसला ही है. धर्मगुरु माते महादेवी ने कहा, सिद्दारमैया ने हमारी मांग का समर्थन किया है. हम उनका समर्थन करेंगे. बता दें कि महादेवी का उत्तरी कर्नाटक में काफी प्रभाव है.
बंगलुरु में आयोजित महाधिपतियों की एक बैठक में कर्नाटक के विभिन्न इलाक़ों से लिंगायत मठाधीश जमा हुए थे. जहाँ उन्होंने इस बात की घोषणा की. हालांकि इस घोषणा के बाद भारतीय जनता पार्टी ने औपचारिक रूप से कुछ नहीं कहा है लेकिन पार्टी के अध्यक्ष अमित शाह मठों में घूम घूमकर लिंगायत मठाधीशों से चुनावों में समर्थन की अपील करते आ रहे हैं.
वैसे भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता इस ताज़ा घोषणा के बाद बैठक कर रहे हैं कि उनकी आगे की रणनीति क्या होगी.