कर्नाटक के राज्यपाल के बीएस येद्दयुरप्पा को मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाने के फैसले के खिलाफ कांग्रेस और जनता दल (सेक्युलर) ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया। इस मामले पर उनकी याचिका स्वीकार कर ली और रात के 1:45 मिनट पर सुप्रीम कोर्ट के तीन जजों की बेंच ने इस मामले पर सुनवाई शुरू की।
कांग्रेस ने खटखटाया सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा:
कर्नाटक के त्रिशंकु विधानसभा के माहौल के बीच राज्यपाल वजुभाई वाला ने बीजेपी के बीएस येदियुरप्पा को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया. राज्यपाल के फैसले के बाद कांग्रेस और जनता दल(सेक्युलर) ने बुधवार रात को सुप्रीम कोर्ट का रुख किया और मामले की तुरंत सुनवाई करने की अपील की.
SC ने येदियुरप्पा की शपथ ग्रहण रोकने से किया मना:
चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने कांग्रेस की याचिका स्वीकार करते हुए देर रात ही जस्टिस एके सीकरी, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस बोबड़े की तीन जजों वाली बेंच गठित कर सुनवाई का आदेश दे दिया.
सुनवाई रात के 1:45 बजे से शुरू होकर करीब 5:30 बजे तक चली. इस दौरान कांग्रेस ने बीजेपी को सरकार बनाने से रोकने के लिए दलीलें दीं.
कांग्रेस के तर्क:
कांग्रेस की तरफ से अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि-
-‘हमारे पास 117 विधायक हैं, बीजेपी के पास केवल 104 विधायक. ऐसे में बीजेपी कैसे बहुमत साबित करेगी?
-‘येदियुरप्पा ने 7 दिन मांगे थे और राज्यपाल ने 15 दिन दे दिए. क्यों? ऐसा पहली बार देखा कि किसी दल को बहुमत साबित करने के लिए 15 दिन का समय दिया जाए’.
-‘गोवा में कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी थी, लेकिन चुनाव बाद हुए गठबंधन के बाद बीजेपी को सरकार बनाने का मौका मिला. कर्नाटक के केस में चीजें क्यों बदल गई? नियम क्यों बदले जा रहें?’
-‘जेडीएस ने बहुमत के सबूत के साथ सरकार बनाने का दावा भी कर दिया था. फिर राज्यपाल ने इंतजार क्यों नहीं किया? येदियुरप्पा को सरकार बनाने का न्योता देना का फैसला इतनी जल्दी कैसे ले लिया?
-‘स्पष्ट बहुमत न होने की स्थिति में सरकारिया कमीशन और रामेश्वर बनाम यूनियन ऑफ इंडिया के फैसले में भी पहले बहुमत वाले दल को प्राथमिकता दे. ऐसा न हो तो चुनाव पूर्व गठबंधन या चुनाव पश्चात गठबंधन को सरकार बनाने का मौका मिलना चाहिए.
-‘शपथ ग्रहण को रोकें, इससे राज्यपाल के आदेश में हस्तक्षेप नहीं होगा.’
– ‘अगर यह कोर्ट संविधान की धारा 356 के तहत राष्ट्रपति शासन को रोक सकता है, तो राज्यपाल के आदेश को क्यों नहीं रोक सकता?’
-‘राज्यपाल के विशेषधिकार भी ज्यूडिशियल रिव्यू के दायरे में आते हैं.’
-‘कर्नाटक में शपथ ग्रहण कल के बजाय परसों भी तो हो सकता है. इससे कोई आसमान नहीं टूट पड़ेगा.’
-‘आप मेरिट पर फैसला करें. देश की सबसे बड़ी अदालत के तीन जज रात के दो बजे से ये अहम मामला सुन रहे हैं. लोकतंत्र निश्चिंत है.
– बीजेपी सरकार के शपथ ग्रहण को सुबह नौ बजे के बजाय शाम 04.30 बजे तक टाला जाए. यदि ऐसा नहीं हुआ तो कम से कम 3 घंटे के लिए इसको टाला जाए.
बीजेपी का तर्क:
भाजपा की तरफ से मुकुल रोहतगी ने कहा कि-
-राज्यपाल के पास सबसे बड़े दल को बुलाने का अधिकार है, अगर सबसे बड़ी पार्टी बहुमत साबित नहीं बना सकी तो दूसरी पार्टी को मौका मिलेगा.
-राज्यपाल को पार्टी नहीं बनाया जा सकता है.
-‘इस देश में राष्ट्रपति और राज्यपाल के आदेश देने के अधिकार को चुनौती नहीं दी जा सकती. आदेश को चुनौती दी जा सकती है.
-पूर्व अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने याचिका खारिज करने की मांग की.’
बता दें कि कर्नाटक में 222 सीटों पर शनिवार को वोटिंग हुई थी. सरकार बनाने के लिए बहुमत का आंकड़ा 112 है. बीजेपी के पास सिर्फ 104 विधायक हैं. कांग्रेस के 78 और जेडीएश के 37. जेडीएस और कांग्रेस ने गठजोड़ कर लिया है.