तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तईप एर्दागन भारत दौरे पर है लेकिन भारत आने से पूर्व उन्होंने 30 अप्रैल को कश्मीर मसले को लेकर दिया विवादित सुझाव। नई दिल्ली पहुंचने से पहले उन्होंने एक इंटरव्यू में कहा, ‘हमें कश्मीर में और घटनाओं को होने की इजाजत नहीं देनी चाहिए। बहुपक्षीय वार्ता के जरिए जिसमें हम भी शामिल हो सकते हैं, हम कश्मीर समस्या को हल करने का एक रास्ता निकाल सकते हैं जो सभी के लिए होगा।’
कश्मीर के लेकर तुर्की के राष्ट्रपति ने दिया विवादित सुझाव :
- तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तईप एर्दागन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलने से पहले कश्मीर मुद्दे पर दिया बयान।
- पीएम मोदी से बातचीत से पहले तुर्की के राष्ट्रपति ने कश्मीर समस्या को सुलझाने के लिए
- बहुपक्षीय संवाद की पैरवी की, जिससे इलाके में शांति सुनिश्चित की जा सके।
- उन्होंने कहा, ‘विश्व में इससे बेहतर दूसरा और कोई विकल्प नही कि वार्ता की प्रकिया को जारी रखा जाए।
- कहा कि यदि हम वैश्विक शांति की ओर योगदान देते हैं तो हम एक सकारात्मक परिणाम हासिल कर सकते हैं।’
रेसेप तईप एर्दोगन का दिल्ली में स्वागत :
- तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तईप एर्दोगन का 1 मई को नई दिल्ली में राष्ट्रपति भवन में औपचारिक स्वागत हुआ।
- राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तुर्की के राष्ट्रपति का स्वागत किया।
- जिसके बाद राष्ट्रपति भवन के प्रांगण में तुर्की के राष्ट्रपति को गार्ड ऑफ ऑनर प्रदान किया गया।
जीत हासिल करने के बाद भारत दौरे पर आये एर्दोगन :
- राष्ट्रपति रेसेप तईप एर्दागन तुर्की में 16 अप्रैल को हुए जनमत संग्रह में जीत हासिल करने के बाद भारत दौरे पर आए हैं।
- एर्दोगन इससे पूर्व जब वह प्रधानमंत्री थे तब2008 में भारत दौरे पर आए थे।
- राष्ट्रपति मुखर्जी ने 2013 में तुर्की का दौरा किया था।
- वहीं मोदी ने 2015 में अंताल्या में जी20 शिखर सम्मेलन के दौरान एर्दोगन से मुलाकात की थी।
भारत-तुर्की व्यापार में संतुलन पर जोर :
- तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोगन ने भारत आने के बाद कहा कि भारत और तुर्की के बीच
- संयुक्त व्यापार में संतुलन होना चाहिए और इस दिशा में कदम उठाए जाने चाहिए।
- दिल्ली में एक व्यापारिक समारोह में कहा कि यह बैठक व्यापारिक रिश्तों के एक नए युग की शुरुआत की सूचक है।
- एर्दोगन ने कहा कि दोनों देश अनुसंधान समेत कई क्षेत्रों में एक-दूसरे की मदद कर सकते हैं।
- उन्होंने कहा कि उनका देश बुनियादी ढांचे के तेज विकास की जरूरत में भारत की मदद कर सकता है।
- आगे कहा कि संयुक्त व्यापार में संतुलन होना चाहिए और इस दिशा में कदम उठाए जाने चाहिए।
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