जम्मू के कठुआ में 8 साल की बच्ची की गैंगरेप के बाद हत्या के मामले में आज सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई पर रोक लगा दी. सुप्रीम कोर्ट ने मजिस्ट्रेट कोर्ट में 7 मई को होने वाली केस की अगली सुनवाई तक के लिए सुनवाई पर रोक लगा दी है.
पीडिता के परिवार ने की राज्य से बाहर सुनवाई की मांग:
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कठुआ सामूहिक बलात्कार और हत्याकांड की सुनवाई चंडीगढ़ में कराने और इसकी जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को सौंपने की याचिका पर विचार करने के बाद इस मामले मे कठुआ में चल रही कार्यवाही पर सात मई तक के लिये रोक लगा दी.
प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा, जस्टिस डीवाई चन्द्रचूड़ और जस्टिस इंदु मल्होत्रा की पीठ ने कहा कि वह मुकदमा चंडीगढ़ स्थानांतरित करने के लिये पीड़िता के पिता की याचिका और इस मामले की जांच सीबीआई को सौंपने के लिये आरोपियों की याचिका पर सुनवाई करेगा. पीठ ने इस मामले को आगे सुनवाई के लिये सात मई को सूचीबद्ध किया है.
राज्य से बाहर केस की सुनवाई पर प्रदेश सरकार की असहमति:
वहीं जम्मू एवं कश्मीर सरकार ने केस की सुनवाई राज्य से बाहर करवाए जाने का विरोध किया है. राज्य सरकार का कहना है कि मामले में काफी गवाह स्थानीय हैं, ऐसे में केस की सुनवाई राज्य से बाहर करवाना सही नहीं होगा.
दूसरी तरफ आरोपियों ने सुप्रीम कोर्ट से मांग की है कि मामले में कोई भी फैसला करने से पहले उनका पक्ष सुना जाए. सुप्रीम कोर्ट ने आरोपियों को नोटिस भेजा है और मामले की सुनवाई 7 मई तक के लिए टाल दी है.
आरोपियों के वकील फर्जी खबर फैला रहे:
पीड़िता की तरफ से सुप्रीम कोर्ट के समक्ष पेश हुईं वकील इंदिरा जयसिंह ने वहीं कोर्ट का ध्यान सोशल मीडिया पर फैलाए जा रहे विद्वेषपूर्ण सामग्रियों की ओर दिलाया. बता दें कि मामले की जांच कर रही जम्मू एवं कश्मीर पुलिस की क्राइम ब्रांच ने मजिस्ट्रेट कोर्ट से आरोपियों के वकील के खिलाफ शिकायत करने का फैसला किया है.
क्राइम ब्रांच का आरोप है कि आरोपियों के वकील एक फर्जी सीडी फैला रहे हैं, जिसमें प्रत्यक्षदर्शियों को कोर्ट के समक्ष बयान देते हुए दर्शाया गया है. सीडी में प्रत्यक्षदर्शी यह कहते हुए सुने जा सकते हैं कि उन्हें एक आरोपी विशाल के खिलाफ बयान देने के लिए दबाव डाला गया.
इस बीच 82 सामाजिक संगठनों और कुछ प्रतिष्ठित लोगों ने मामले की जांच CBI से करवाने की अपनी मांग रखने के लिए जम्मू में एक संयुक्त समिति गठित की है.