हाल ही में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने अपने 21 विधायकों को संसदीय सचिव बनाने के लिए बिल पास कराने के मामले में दिल्ली सरकार मखौल का विषय बनी हुई है।
प्रमुख सचिव की राय को किया नजरअंदाज:
- दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल अपने 21 विधायकों को संसदीय सचिव बनाना चाह रहे थे, जिस बिल पर माननीय राष्ट्रपति ने रोक लगा दी थी।
- इसी सन्दर्भ में दिल्ली सरकार की प्रमुख सचिव (कानून) का कहना है कि, आम आदमी सरकार को बिल के सन्दर्भ में तय प्रक्रिया अपनाने की सलाह दी थी।
- प्रमुख सचिव कानून आर किरण नाथ ने कहा था कि, सदन में लाने से पहले केंद्र से सहमति लेकर फिर इसे उपराज्यपाल के पास भेजा जाये।
- जिसे नजरअंदाज करने के बाद अरविन्द केजरीवाल एंड कंपनी मखौल का विषय बनी हुई है।
- गौरतलब है कि, बिल को लेकर कानूनी सचिव की राय को महत्वपूर्ण माना जाता है।
- बिल पास कराने के लिए अरविन्द केजरीवाल काफी हड़बड़ी में थे।
- बिल का विचार कैबिनेट में 11 जून 2015 को पहली बार किया गया था।
- इसके बाद 19 जून को ही आम आदमी पार्टी ने इस बिल को सरकार बनने वाले दिन 14 फरवरी से 2015 से प्रभावी बनाने का प्रस्ताव पेश कर दिया।
- इतना ही नहीं दिल्ली कैबिनेट ने प्रमुख सचिव की आपत्ति के बावजूद इस बिल को पास कर दिया।
- दिल्ली सरकार के इस कदम और आये दिन विवादों से नाराज होकर आर किरण नाथ ने अपने मूल कैडर में वापसी की मांग की थी।
- जिसके बाद उनकी जगह बृजेश सेठी को मिल गयी।