खादी हमेशा से ही भारत की पहचान रही है और इसका अपना एक गौरवशाली इतिहास रहा है. जिसपर बने खादी ग्राम उद्योग के कैलेंडर का हाल ही में लांच हुआ है. परंतु अपने जारी होने के साथ ही इसे विवादों ने घर लिया है. दरअसल इस कैलेंडर में चरखा कातते मोदी नज़र आ रहे हैं जिसपर विपक्ष ने घेर लिया है. साथ ही महात्मा गाँधी का कैलंडर में ना होना अपने आप में एक विवाद बन गया है.
महात्मा गाँधी का रहा था योगदान :
- इतिहास के अनुसार आज़ादी के दौरान लोगों ने खादी अपनाकर अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ इंकलाब की मुहिम में एक खास आयाम जोड़ा था.
- देश के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने स्वदेशी अपनाओ के नारे के साथ ही लोगों से खादी का इस्तेमाल करने की अपील की थी.
- जिसके बाद खादी की पहचान जैसे महात्मा गाँधी से ही होने लगी है.
- वैसे तो खादी ग्राम उद्योग हर साल अपना कैंलेडर निकालता है,
- परंतु इस साल निकला गया यह कैलेंडर विवादों के बीच घिर गया है.
- ऐसा इसलिए क्योंकि इससे गांधी जी की तस्वीर गायब है व इस जगह पीएम मोदी की तस्वीर है.
- गांधी बनने के लिए कई जन्मों की तपस्या करनी पड़ती है। चरख़ा कातने की ऐक्टिंग करने से कोई गांधी नहीं बन जाता, बल्कि उपहास का पात्र बनता है.
- गांधी बनने के लिए कई जन्मों की तपस्या करनी पड़ती है। चरख़ा कातने की ऐक्टिंग करने से कोई गांधी नहीं बन जाता, बल्कि उपहास का पात्र बनता है.
केजरीवाल ने साधा निशाना :
- खादी ग्राम उद्योग के कैलेंडर पर महात्मा गाँधी की तस्वीर ना होने पर विपक्ष ने हमला बोला है.
- जिसमे से हमेशा की तहत केजरीवाल ने निशाना साधा है.
- दिल्ली के मुख्यमंत्री ने ट्विटर पर इस संबंध में मोदी पर हमला बोला है.
- जिसके तहत कहा कि गांधी बनने के लिए कई जन्मों की तपस्या करनी पड़ती है.
- साथ ही कहा कि चरख़ा कातने की ऐक्टिंग करने से कोई गांधी नहीं बन जाता, बल्कि उपहास का पात्र बनता है.
- इसी बीच राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के परपौत्र तुषार गांधी ने भी अपना बयान दिया.
- जिसके तहत उन्होंने कहा कि गांधी जी का चरखा गरीब लोगों की कमाई का स्त्रोत था.
- साथ ही यह उनके लिए उत्पादन का जरिया था.
- परंतु अब यह तस्वीर खिंचवाने का साधन बन गया है.
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