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कोलकत्ता: सुभाष चन्द्र बोस की मूर्ति तोड़ी, लोगों ने किया विरोध प्रदर्शन

kolkata-Netaji Subhas Chandra Bose's statue vandalised

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पश्चिम बंगाल के नारकेलडागा थाना क्षेत्र में बुधवार रात नेताजी सुभाष चंद्र बोस की मूर्ति तोड़ दी गई। गुरुवार को स्थानीय पुलिस स्टेशन के बाहर पहुंचे लोगों के समूह ने प्रदर्शन कर मूर्ति तोड़ने वाले अराजक तत्वों के खिलाफ कार्रवाई की माग की। आसपास के लोगों को कहना है कि मूर्ति जान-बूझकर इलाके में हिंसा फैलाने के लिए तोड़ी गई है।

कार्रवाई न होने पर लोग करेंगे प्रदर्शन:

पश्चिम बंगाल के कोलकाता में नारकेलडांगा के पार्क के अंदर लगी नेताजी सुभाष चंद्र बोस की मूर्ति को क्षतिग्रस्त करने का मामला सामने आया है। जिसके बाद स्थानीय लोगो ने क्षेत्र के पुलिस स्टेशन के बाहर तुरंत कार्रवाई करने के लिए विरोध-प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारी पुलिस द्वारा आश्वासन मिलने के बाद शांत हुए और उन्होंने अज्ञात लोगों के खिलाफ शिकायत दर्ज करवाई है।

कोलकाता के फॉरवर्ड ब्लॉक के युवा मोर्चे के सुदीप्तो बनर्जी का कहना है कि हमने पुलिस के पास शिकायत दर्ज करवाई है और उन्हें घटना के पीछे शामिल लोगों को पकड़ने के लिए एक दिन का समय दिया है। यदि कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी तो हम पुलिस स्टेशन के बाहर विरोध प्रदर्शन करेंगे।
नेताजी पार्क में बोस की मूर्ति का लोकार्पण 10 साल पहले उस समय एमआईसी (स्वास्थ्य) रहे डॉक्टर सुबोध डे ने किया था। उन्होंने ही इस पार्क को बनवाने के बाद इसे नेताजी पार्क का नाम दिया था।

क्षतिग्रस्त मूर्ति को ढका नील रंग के कपड़े से:

आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त हुई मूर्ति को फिलहाल के लिए नीले रंग के कपड़े से ढक दिया गया है। माना जा रहा है कि शाम के समय मूर्ति को क्षतिग्रस्त किया गया है। स्थानीय लोगों का दावा है कि मूर्ति को जानबूझकर परेशानी खड़ी करने के लिए नुकसान पहुंचाया गया है।

लेफ्ट फ्रंट की सत्ता के दौरान साल 2007-08 के दौरान इस मूर्ति को बनाया गया था। फॉरवर्ड ब्लॉक के देबाब्रतो बिस्वास का कहना है कि मूर्ति को नुकसान मानसिक रूप से विक्लांग लोगों ने पहुंचाया है।

मूर्तियों को निशाना बनाए जाने की घटना त्रिपुरा से शुरू हुई थी। जब भाजपा ने चुनाव में लेफ्ट को हरा दिया था। उसके बाद लेनिन की मूर्ति को कथित भाजपा समर्थको ने तोड़ दिया था।

तब से मूर्ति तोड़ने का सिलसिला पूरे भारत में शुरू हो गया है। लेनिन के बाद जनसंघ के संस्थापक श्यामा प्रसाद मुखर्जी की मूर्ति को कोलकाता के कालीघाट में निशाना बनाया गया था।

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