आज पूरी दुनिया में भगवान श्री कृष्ण के 5242वां जन्मदिवस मनाने की तैयारियां हो रही है। वर्तमान समय से करीब पांच हजार साल पहले मुरली मनोहर भगवान श्री कृष्ण ने मथुरा की धरती पर अपना बचपन बीताते हुए बहुत सी लीलाएं की थी। आपको आज उन्ही जगहों से आज रूबरू कराया जा रहा है।
कारागार में जन्मे थे भगवान :
- ऐसी धारणा है कि कंस के महल में जिस कारागार में भगवान् श्री कृष्णा ने जन्म लिया था, वह आज भी यहाँ मौजूद है।
- भक्तों का एक बड़ा हुजूम इस पावन स्थल के दर्शन हेतु जाता रहता है।
- हालांकि राज्य सरकार की तरफ से इस जगह पर फोटो खींचना प्रतिबंधित किया गया है।
- इसके बगल में ही भगवान् कृष्ण का विशाल मंदिर भी है जिसे आक्रमणकारियों द्वारा कई बार तोड़ने के बाद बनाया गया है।
- यही पर निधिवन नाम का एक वन भी है जिसमे राधा और भगवान् कृष्ण रासलीला करते थे।
- यहाँ माना जाता है कि रात्रि के समय अभी भी राधा और कृष्ण वहां आते रहते है।
- प्रातःकाल के समय में में वन में ही बने एक भवन में कृष्ण लीलाओं का मंचन होता है।
- मगर रात को यह वन भक्तों के दर्शन के लिए बंद हो जाता है।
- यहाँ मान्यता है कि रात में भगवान की रास लीला देखने वाले लोग अंधे हो जाते है।
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कई जगह दिखते है श्री कृष्ण :
- मथुरा के श्यामवन में करीब 16 वट वृक्षों के बीच में एक वंशी वट है।
- करीब पांच हजार साल पहले यह वट वृक्ष के नाम से जाना जाता था।
- इसी वृक्ष की लंबी शाखाओं पर चढ़कर भगवान् श्री कृष्ण वृन्दावन जाया करते थे।
- मौजूदा समय में भी यहां पर कई वृक्षों में यमुना की तरफ झुकी हुई वटवृक्ष की लंबी शाखाएं दिखती हैं।
- भगवान् कृष्ण की नगरी ब्रज में कई ऐसे पर्वत भी मिलते हैं जहां पर उनके पैरों के निशान आज भी अंकित हैं।
- मान्यता है कि भगवान इन्ही पर्वतों पर गाय चराते समय बांसुरी बजाते थे।
- उनकी बांसुरी की मधुर धुन पर पर्वत मोम की तरह पिघल जाते थे
- उन पर्वतों पर सदा के लिए भगवान के चरण चिह्न अंकित हो गए थे।
- भक्तों द्वारा अभी भी यहां पर्वतों पर अंकित कृष्ण के पैरों के निशान की पूजा होती है।
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