डॉनल्ड ट्रम्प ऐतिहासिक जीत के साथ अमेरिका के नए राष्ट्रपति चुने गए हैं. हिलेरी क्लिंटन को ट्रम्प ने 218 वोटों के मुकाबले 276 वोटों से हराया. रिपब्लिकन पार्टी के उम्मीदवार ट्रम्प एक बिजनेस मैन हैं लेकिन अब वो विश्व के सबसे शक्तिशाली लोकतंत्र के प्रथम नागरिक होंगे. चुनाव प्रचार के दौरान उन्होंने अमेरिका में रहने वाले भारतीयों की तारीफ की थी. साथ ही उन्होंने कहा था कि उन्हें भारत बहुत पसंद है. भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भी उन्होंने जमकर तारीफ की थी.
लेकिन अब ये देखना दिलचस्प होगा कि राष्ट्रपति पद सँभालने के बाद वो किस तरह से बर्ताव करते हैं. भारत के साथ रिश्तों को लेकर भी अभी कुछ कहा नही जा सकता है. बराक ओबामा और नरेंद्र मोदी की दोस्ती ने इन दोनों देशों को करीब लाया है. लेकिन अब जब अमेरिका के नए राष्ट्रपति का चुनाव हो गया है तो नरेंद्र मोदी और ट्रम्प के बीच कैसे रिश्ते होंगे, इसपर सभी की नजरें जमी है.
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अमेरिका फर्स्ट के नारे के साथ चुनाव जीतने वाले डॉनल्ड ट्रम्प की पहली वरीयता अमेरिका और वहां के लोग हैं. ओबामा और ट्रम्प के बीच बहुत अंतर है. उदारवादी व्यवस्था के हिमायती ओबामा में वैचारिक मतान्तर है. भारत और अमेरिका अब एक नए रिश्ते की बुनियाद रखेंगे.
इस रिश्ते के बीच आने वाले नफे-नुकसान पर एक नजर:
- डॉनल्ड ट्रम्प उदारवादी अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के समर्थक नही हैं.
- ऐसे में कई देशों को इसका नुकसान उठाना पड़ सकता है.
- अमेरिका में रह रहे भारतीयों के लिए भी दिक्कतें बढ़ सकती हैं.
- क्योंकि ट्रम्प का मानना है कि भारतीयों ने रोजगार पर कब्ज़ा कर लिया है.
- चाइना को भी बड़ा झटका लग सकता है.
- चाइना की बढती ताकत को देखते हुए भारत को साथ लेकर अमेरिका चल सकता है.
- ट्रेड को लेकर ट्रम्प सभी व्यापार और समझौते को नए सिरे से लागू कर सकते हैं.
- H1B वीजा की खिलाफत करने वाले ट्रम्प भारतीय आईटी कंपनियों के लिए मुसीबत पैदा कर सकते हैं.
- कॉर्पोरेट टैक्स ख़त्म होने के बाद का वादा किया है ट्रम्प ने.
- इस स्थिति में मेडिकल कंपनियां भारत से कारोबार समेत सकती हैं.
- भारत को कट्टर इस्लामिक आतंकवाद का मुखर विरोध करने वाले ट्रम्प का साथ मिल सकता है.
- गैस शेल चैम्बर स्थापित करने की बात भी कर रहे हैं ट्रम्प.
- इस स्थिति में तेल की कीमतों में गिरावट भारत के लिए अच्छा साबित हो सकता है.
हालाँकि डॉनल्ड ट्रम्प भारत के साथ बेहतर रिश्ते के पक्षधर रहे हैं. ऐसे में नरेंद्र मोदी और ट्रम्प मिलकर अमेरिका-भारत के रिश्तों को कितना मजबूत कर पाते हैं, आने वाला वक्त बताएगा.