आजादी के लिए अपनी जान न्योछावर करने वाले शहीद-ए-आज़म भगत सिंह का जीवन हमेशा से ही एक मार्गदर्शक रहा है। उनके अंदर आज़ादी का ऐसा जज़्बा था कि आज भी वे अपनी देशभक्ति व जूनून के लिए याद किये जाते हैं।
जलियाँवाला बाघ हत्याकांड ने बदली जीवन की दिशा :
- शहीद-ए-आजम भगत सिंह का जन्म 28 सितम्बर, 1907 को लायलपुर जिला (फैसलाबाद, पाक) के बंगा गांव में हुआ था।
- इनके पूर्वज पंजाब के नवांशहर के समीप खटकड़कलां गांव के थे अत: खटकड़कलां इनका पैतृक गांव है।
- भगत सिंह के दादा सरदार अर्जुन सिंह पहले सिख थे जो आर्य समाजी बने थे।
- इनके तीनों सुपुत्र-किशन सिंह, अजीत सिंह व स्वर्ण सिंह प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी थे।
- सन् 1921 में उन्होंने लाहौर स्थित नर्सरी ऑफ पैट्रिआट्स के रूप में विख्यात नैशनल कालेज में प्रवेश लिया था।
- आपको बता दें कि भगत सिंह के बौद्धिक विकास में दो कारणों का बहुत महत्व है।
- पहला द्वारका दास लाइब्रेरी (लाहौर) तथा दूसरा कानपुर का तत्कालीन बौद्धिक वातावरण।
- कानपुर में उनकी भेंट अनेक विद्वानों से हुई थी जिसके बाद उनकी विचारधाराएं बदलने लगी थे।
- गणेशशंकर ‘विद्यार्थी’ ने उन्हें लिखने की प्रेरणा दी तथा भगत सिंह ने ‘बलवंत सिंह’ के उपनाम से लिखना शुरू कर दिया।
- बताया जाता हैं कि भगत सिंह के जीवन में क्रांतिकारी परिवर्तन आने का एक मुख्य कारण था।
- किशोर भगत सिंह के दिलो-दिमाग पर जलियांवाला बाग हत्याकांड का असर सर्वोपरि विदित था।
- आपको बता दें कि किशोर भगत सिंह जलियांवाला बाग की खून से सनी मिटटी एक बोतल में भरकर साथ लाये थे।
- इसके बाद भगत सिंह ने मन ही मन स्वयं को राष्ट्र पर कुर्बान करने की प्रतिज्ञा कर ली थी।
- हालांकि उनके परिजन उनकी शादी करना चाहते थे लेकिन वे इसके लिए राज़ी नहीं थे।
- उनका कहना था कि मैं विधवाओं की संख्या नहीं बढ़ाना चाहता।
- एक स्वतंत्रता सेनानी के रूप में भगत सिंह का योगदान भी अपने आप में अद्भुत है।
- 8 अप्रैल, 1929 को गिरफ्तार होने से पूर्व उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम की लगभग प्रत्येक गतिविधि में बढ़-चढ़ कर भाग लिया।
- सन् 1920 में जब गांधी जी ने असहयोग आंदोलन शुरू किया उस समय भगत सिंह मात्र 13 वर्ष के थे।
- इसके बाद 1929 में जब भगत सिंह गिरफ्तार हुए तो वे मात्र 22 वर्ष के युवा।
- इन 9 वर्षों में भगत सिंह की एक स्वतंत्रता सेनानी के रूप में गतिविधियां हमेशा याद रहेंगी।
- 12 जून, 1929 को उन्हें काले पानी का आजीवन कारावास व 7 अक्तूबर, 1930 को मृत्यु दंड की सजा सुनाई गई थी।
- 23 मार्च, 1931 को उन्हें लाहौर सैंट्रल जेल में राजगुरु व सुखदेव के साथ सायं 7:33 पर शहीद कर दिया गया था।
- उनके मृतक शरीर को हुसैनीवाला नामक स्थान पर रात के अंधेरे में ब्रिटिश सरकार के गुरगों द्वारा तेल डालकर जला दिया गया था।
- भगत सिंह कि मृत्यु के बाद देश में जैसे स्वतंत्रता की लहर दौड़ गयी थी।
- शहीद भगत सिंह की शहादत देश को अंग्रेजी हुकूमत से आज़ादी दिलाने में एहम रही है और रहेगी।
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