भारत के लोगो का मेट्रो ट्रेन में सफर करने का सपना पूरा करने वाले और पूरे देश में मैट्रो मैन के नाम से फेमस देश के कुशल सिविल इंजीनियर ई श्रीधरन का आज जन्म दिन है। ई श्रीधरन की बदौलत ही आज देश के विभिन्न शहरों में मैट्रो ट्रेन चलती हुई दिखाई दे रही है। वो आज कल लखनऊ मेट्रो परियोजना में लगे हुए हैंं।
ई श्रीधरन का जन्म 12 जून 1932 काेे हुआ था। वो 1995 से लेेकर 2012 तक दिल्ली मेट्रो के निदेशक भी रहे। भारत सरकार ने उन्हें 2001 में पद्म श्री और 2008 में पद्म विभूषण से भी सम्मानित किया था। टाइम पत्रिका ने तो उन्हें 2003 में एशिया का हीरो बना दिया था।
आज लखनऊ समेत देश के अन्य शहरों में भी मेट्रो सेवा शुरु करने की तैयारी है, जिसमें श्रीधरन की मेधा, योजना और कार्यप्रणाली ही मुख्य निर्धारक कारक है। केरलवासी श्रीधरन की कार्यशैली की सबसे बड़ी खासियत है एक निश्चित योजना के तहत निर्धारित समय सीमा के भीतर काम को पूरा कर दिखाना।
समय के बिलकुल पाबंद श्रीधरन की इसी कार्यशैली ने भारत में सार्वजनिक परिवहन को चेहरा ही बदल दिया। 1963 में रामेश्वरम और तमिलनाडु को आपस में जोड़ने वाला पम्बन पुल टूट गया था। रेलवे ने उसके पुननिर्माण के लिए छह महीन का लक्ष्य तय किया, लेकिन उस क्षेत्र के इंजार्च ने यह अवधि तीन महीने कर दी और जिम्मेदारी श्रीधरन को सौंपी गई। श्रीधरन ने मात्र 45 दिनों के भीतर काम करके दिखा दिया।
भारत की पहली सर्वाधिक आधुनिक रेलवे सेवा कोंकण रेलवे के पीछे भी ई श्रीधरन का प्रखर मस्तिष्क, योजना और कार्यप्रणाली रही है। भारत की पहली मेट्रो सेवा कोलकाता मेट्रो की योजना भी उन्हीं की देन है। आधुनिकता के पहियों पर भारत को चलाने के लिए सबकी उम्मीदें श्रीधरन पर टिकी है। इसलिए तो सरकार ने उत्कृष्ट कार्यों को देखते हुए पद्श्री और पद्म भूषण सम्मानों से सम्मानित किया।