कर्नाटक में जारी हिज़ाब विवाद पर भारत सरकार के विदेश मंत्रालय ने एक स्टेटमेंट जारी किया ।

कर्नाटक के एक छोटे से स्कूल से शुरू हुआ हिज़ाब विवाद पहले जिले, फिर सम्पूर्ण राज्य, फिर राष्ट्रीय मुद्दा बनने के बाद अब अन्तरराष्ट्रीय सुर्खियां भी बटोर रहा है। मुद्दा इतना आगे बढ़ चुका है कि भारत सरकार के विदेश मंत्रालय को आगे बढ़कर इस मुद्दे पर अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर सफ़ाई देते हुए स्टेटमेंट जारी करना पड़ रहा है।

कर्नाटक में जारी हिज़ाब विवाद पर भारत सरकार के विदेश मंत्रालय ने एक स्टेटमेंट जारी करके कहा है कि कर्नाटक के कुछ शैक्षणिक संस्थानों में ड्रेस कोड पर कुछ देशों की टिप्पणियों पर भारत की प्रतिक्रिया पर मीडिया के सवालों के जवाब में, आधिकारिक प्रवक्ता श्री अरिंदम बागची ने कहा- कर्नाटक राज्य में कुछ शैक्षणिक संस्थानों में ड्रेस कोड से संबंधित मामला कर्नाटक के माननीय उच्च न्यायालय द्वारा न्यायिक परीक्षण के अधीन है। हमारे संवैधानिक ढांचे और तंत्र, साथ ही साथ हमारे लोकतांत्रिक लोकाचार और राजनीति, ऐसे संदर्भ हैं जिनमें मुद्दों उन पर विचार किया जाता है और उनका समाधान किया जाता है। जो भारत को अच्छी तरह से जानते हैं, वे इन वास्तविकताओं की उचित सराहना करेंगे। हमारे आंतरिक मुद्दों पर प्रेरित टिप्पणियों का स्वागत नहीं है।

ज्ञात हो कि कर्नाटक में जारी हिजाब विवाद की शुरुआत तब हुई जब कुंडापुरा कॉलेज प्रशासन ने यह आदेश जारी किया कि हिजाब पहने छात्राएं जब तक वे अपना हिजाब नहीं हटाती तब तक अपनी कक्षाओं में प्रवेश नहीं करने दिया जाएगा। कर्नाटक के एक कॉलेज में 25 मुस्लिम छात्रों को प्रवेश से वंचित करने के एक दिन बाद आई है क्योंकि उन्होंने कक्षा में हिजाब पहन रखा था। इससे पहले, उडुपी जिले के एक सरकारी कॉलेज ने भी छात्रों को हिजाब पहनने से कक्षाओं में जाने पर रोक लगा दी थी। इसके बाद यह प्रकरण धार्मिक रंग ले चुका है। इस घटना को लेकर भाजपा शासित कर्नाटक सरकार के खिलाफ पूरे देश में एक वर्ग द्वारा विरोध किया जा रहा है।

एक स्कूल से शुरू हुई घटना का असर पूरे कर्नाटक राज्य के स्कूलों-कॉलेजों में दिखाई देने लगा था, जहां पर एक तरफ हिज़ाब पहनी लड़कियां और उनके सपोर्ट में मुस्लिम युवक विरोध प्रदर्शन कर रहे थे, तो दूसरी तरफ हिन्दू स्टूडेंट्स और युवक-युवतियां हिन्दू धर्म के प्रतीक के तौर पर केसरिया रंग के अंगोछे स्कूल-कॉलेज ड्रेसों के ऊपर कंधे पर डाल कर प्रदर्शन और डिमांड कर रहे हैं कि अगर हिज़ाब की अनुमति दी गई तो हिन्दू स्टूडेंट्स भी केसरिया अंगोछा का इस्तेमाल करते हुए शिक्षण से संस्थान आएंगे। विवाद इतना बढ़ गया था कि कर्नाटक के सीएम बसवराज बोम्मई के निर्देश पर प्रदेश में 3 दिन के लिए हाई स्कूल और कॉलेजों को बंद कर दिया गया था।

ज्ञात हो कि यह मुद्दा न सिर्फ राष्ट्रीय मीडिया में सुर्खियां बटोर रहा है बल्कि विदेशी पत्र-पत्रिकाओं में भी इस घटना या घटनाओं को बहुत महत्व के साथ प्रकाशित किया जा रहा है। इसी क्रम में कल अमेरिका सरकार में अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता मामले के राजदूत राशिद हुसैन ने स्टेटमेंट जारी करते हुए कहा था कि धार्मिक स्वतंत्रता में लोगों को अपने धार्मिक कपड़ों को चुनने की पूरी आजादी होती है. भारतीय राज्य कर्नाटक को धार्मिक कपड़ों की अनुमति का निर्धारण नहीं करना चाहिए. स्कूलों में हिजाब पर प्रतिबंध धार्मिक स्वतंत्रता का उल्लंघन करता है और महिलाओं और लड़कियों को कलंकित और हाशिए पर लाता है।

इन्हीं खबरों और बयानों के बाद हिजाब विवाद पर अपना रुख साफ़ करते हुए और विदेशों को दो टूक जवाब देते हुए भारतीय विदेश मंत्रालय ने आज यह वक्तव्य जारी किया है। भारतीय विदेश मंत्रालय ने अपने वक्तव्य के अंत में यह कहकर विदेशी संस्थाओं को भारतीय आंतरिक मामलों से दूर रहने को कहा है कि हमारे आंतरिक मुद्दों पर प्रेरित टिप्पणियों का स्वागत नहीं है।

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