साल 2015 के बाद से मॉब लिंचिंग के मामलों में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है. समस्या की गंभीरता को देखते हुए कोर्ट ने केंद्र सरकार और राज्य सरकारों को क़ानून बनाने के निर्देश भी दिये बावजूद इसके अभी भी लगातार मॉब लिचिंग के मामलें बंद नहीं हो रहे हैं. 

SC ने भीड़ की हिंसा रोकने के लिए सरकार को निर्देश:

देश में बढ़ रही भीड़ हिंसा की घटनाओं से सरकार और सुप्रीम कोर्ट दोनों ही चिंतित हैं। मोब लिंचिंग पर सुप्रीम कोर्ट ने सख्त टिप्पणी करते हुए केंद्र सरकार को इसपर जल्द से जल्द कानून बनाने को कहा है. सुप्रीम कोर्ट ने भीड़ की हिंसा को रोकने के लिए सरकार से सख्त कदम उठाने के निर्देश दिए हैं.

चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने कहा कि सरकार भीड़तंत्र को इजाजत नहीं दी जा सकती है. शांति और बहुलतावादी समाज की रक्षा राज्य का दायित्व है. साथ ही राज्य सरकारों से कहा कि भीड़ की हिंसा को रोकना उनकी जिम्मेदारी है.

देश में हुए भीड़ हिंसा के मामले: 

-21 फरवरी 2016 को महाराष्ट्र के लातूर में एक विशेष वर्ग के पुलिसकर्मी को भीड़ ने सिर्फ इसलिए मार डाला, क्योंकि उसने ‘जय भवानी’ का नारा लगाने से इनकार कर दिया था।

-1 अप्रैल 2017: राजस्थान के अलवर में पहलू खान नाम के 55 वर्षीय पशु व्यापारी की कथित गोरक्षकों की भीड़ ने गो-तस्करी के शक में पिटाई कर दी थी। अस्पताल में उसकी मौत हो गई।

-2017 में ही हरियाणा के बल्लभगढ़ में 16 साल के जुनैद की हत्या ट्रेन में सीट को लेकर हुई एक मामूली विवाद में कर दी गई।

-30 अप्रैल 2017: असम के नगांव में गाय चुराने के शक में भीड़ ने 2 लोगों की हत्या कर दी।

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उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर में अंतरजातीय विवाह पर हिंसा:

-3 मई 2017: उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर में अंतरजातीय विवाह करने वाले युगल की मदद करने पर भीड़ ने गुलाम मोहम्मद नाम के व्यक्ति की पीट-पीटकर हत्या कर दी थी।

-23 मई 2017: झारखंड में मुन्ना अंसारी नामक शख्स अपने रिश्तेदार के घर आया था। भीड़ ने उसे चोर समझकर मार डाला।

-7 जून 2017: झारखंड के धनबाद में इफ्तार पार्टी के लिए बीफ ले जाने के आरोप में एक व्यक्ति की हत्या।

-16 जून 2017 को राजस्थान के प्रतापगढ़ में सरकारी म्युनिसिपल काउंसिल कर्मियों ने एक मुसलमान कार्यकर्ता जफर हुसैन की लात-घूंसों से मारकर हत्या कर दी। जफर ने अधिकारियों को खुले में शौच कर रही महिलाओं की तस्वीर खींचने से रोका था।

-22 जून 2017 को कश्मीर में सुरक्षा अधिकारी मोहम्मद अयूब पंडित को स्थानीय लोगों ने निर्वस्त्र कर पीट-पीट कर इसलिए मार डाला क्योंकि वो मस्जिद के बाहर लोगों की तस्वीर खींच रहे थे।

-24 जून 2017 को हरियाणा के बल्लभगढ़ में ट्रेन में सीट को लेकर हुए विवाद में भीड़ ने जुनैद खान नामक युवक को मार डाला।

-1 जुलाई 2018 को धुले के रैनपाड़ा गांव में भीड़ ने पांच लोगों की पीट-पीटकर हत्या कर दी। इन लोगों पर बच्चा चोर होने का आरोप लगाया गया था।

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असम में बच्चा चोरी पर सबसे ज्यादा भीड़ हिंसा:

-21 जुलाई 2018 को पाकिस्तान की सीमा से सटे राजस्थान के बाड़मेर जिले में खेताराम भील की एक मुस्लिम महिला से अवैध संबंधों के आरोप में कथित रूप से 12 लोगों ने पीट-पीटकर हत्या कर दी।

-24 जुलाई 2018 को प. बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले में भीड़ ने बच्चा चोर होने के संदेह में चार महिलाओं से कथित तौर पर मारपीट की और उनमें से दो को निर्वस्त्र कर दिया। एक ही महीने में ऐसी 2 घटनाएं हुईं।

-9 जून 2018 को असम के कार्बी आंगलॉन्ग जिले के एक दूरवर्ती इलाके में सोशल मीडिया पर फैलाई गई बच्चा चोर गैंग की अफवाह के बाद भीड़ द्वारा दो युवकों की पीट-पीट कर हत्या कर दी गई।

-15 जून 2018 को कर्नाटक के बीदर जिले के मुरकी में व्हाट्सएप पर बच्चा चोरी की अफवाह के चलते भीड़ ने कथित तौर पर एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर की पीट-पीट कर हत्या कर दी और 3 लोग गंभीर रूप से घायल हुए।

-वेल्लोर जिले में 28 अप्रैल 2018 को एक हिन्दीभाषी मजदूर को बच्चा चोर होने के शक में पीट-पीट कर मार डाला तो चेन्नई के तेनमपेट इलाके में जून 2018 में स्थानीय लोगों ने दो प्रवासी मजदूरों को बच्चा चोर होने के संदेह में बुरी तरह से पीटा।

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मॉब लिचिंग पर कोर्ट और सरकार का रुख:

-17 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने गोहत्या व गोमांस की तस्करी की शंका में भीड़ द्वारा लोगों को मार देने के खिलाफ आयी अलग-अलग याचिकाओं पर सुनवाई की।

-कोर्ट ने केंद्र व राज्यों को गाइड लाइन जारी की और सख्त कानून बनाने के लिए कहा। कोर्ट ने कहा कि भीड़तंत्र को देश का कानून रौंदने की इजाजत नहीं दी जा सकती।

-18 जुलाई को मानसून सत्र के पहले दिन विपक्ष ने सरकार पर भीड़ हिंसा को लेकर कुछ न कर पाने का आरोप लगाया। यह भी कहा कि इस पर अलग से कानून बनाया जाए।

-मगर सरकार विपक्ष की मांग को खारिज कर दिया।

-भाजपा सांसद मीनाक्षी लेखी ने कहा कि ऐसी घटनाएं बढ़ने की वजह आर्थिक असमानता है।

-19 जुलाई को सरकार ने व्हाट्सएप को नोटिस भेज भड़काने वाले और फेक संदेशों को रोकने के लिए कदम उठानेे को कहा।

-20 जुलाई को संसद में गृहमंत्री राजनाथ सिंह बोले कि सबसे बड़ी मॉब लिंचिंग 1984 (सिख दंगों) में हुई थी।

कोर्ट के आदेश के बाद भी केंद्र और राज्य सरकारें भरसक कोशिशों कर रही है लेकिन बावजूद इसके भीड़ हिंसा को रोकने में विफल हो जा रही हैं. आखिर इसके पीछे का कारण क्या है और क्यों होती है भीड़ हिंसा ?

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सोशल मीडिया से मिलती है भीड़ हिंसा को हवा:

सोशल मीडिया पर फैलने वाली अफवाहों की वजह से देशभर में भीड़ हिंसा की घटनाएं बढ़ रही हैं। मोहम्मद अखलाक, डीएसपी अयूब पंडित, रवींद्र कुमार, जफर खान और पहलू खान। ये वो नाम हैं, जिन्हें ऐसी ही भीड़ ने मार डाला। ऐसे ही और कितने नाम है जो इस भीड़ हिंसा का शिकार बने.
हालात ये हैं कि बच्चा चोरी के सिर्फ शक में पिछले डेढ़ महीने में 7 राज्यों में 20 से ज्यादा लोगों की हत्या कर दी गई हैं। इनमें असम, आंध्र प्रदेश, त्रिपुरा, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र, तेलंगाना और कर्नाटक शामिल हैं। इन घटनाओं की सबसे बड़ी वजह दरअसल सोशल मीडिया व ऐसी अन्य टेक्नोलॉजी है।
सोशल मीडिया पर वायरल मैसेज या छेड़छाड़ कर बनाए गए फेक वीडियो के जरिए अफवाहें तेजी से फैल रही हैं।

फेक न्यूज सबसे बड़ी वजह:

देशभर के अलग-अलग हिस्सों से सामने आ रहे भीड़ हिंसा के मामले बताते हैं कि वॉट्सएप इसकी सबसे बड़ी वजह रहा है। इसलिए कि इसमें ग्रुप में संदेश भेजने वाला बेहद आसान फीचर है। भारत में यह इसलिए और भी खतरनाक साबित हो रहा है कि वॉट्सएप का इस्तेमाल करने वाले सबसे ज्यादा लोग यहीं हैं।
दुनिया में 1 अरब लोग इसे इस्तेमाल कर रहे हैं, तो 25 करोड़ लोग इनमें भारत के हैं। इसमें से अधिकांश की सुबह ही वॉट्सएप के साथ होती है और दिन का अंत भी।
हालांकि अब वॉट्सएप भारत में ग्रुप मैसेज पर नियंत्रण के लिए टेस्ट करने जा रहा है। इसके तहत लोग वॉट्सएप पर कोई एक संदेश 5 से ज्यादा बार फॉर्वर्ड नहीं कर सकेंगे। टेस्ट सफल रहा तो इसे नियम के तौर पर लागू कर दिया जाएगा।

मॉब लिचिंग के ये मुद्दे रहे ट्रेंडिंग:

बच्चा चोरी:

इस साल फरवरी से लेकर 1 जुलाई तक देश के 17 राज्यों में 32 से ज्यादा लोगों को भीड़ ने बच्चा चोरी की आशंका में पीट-पीटकर मार डाला। सबसे ताजी घटना कर्नाटक के बीदर की है, यहां बच्चों को चॉकलेट बांट रहे एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर की भीड़ ने हत्या कर दी।

गो-तस्करी:

कुछ दिन पहले राजस्थान के अलवर में भीड़ ने गो-तस्करी की आशंका में एक शख्स की हत्या कर दी। 28 सितंबर 2015 को उत्तरप्रदेश के दादरी में मोहम्मद अखलाक को भीड़ ने घर में बीफ रखने के शक में मार डाला।
इसके बाद से जुलाई 2017 तक लगभग 20 माह में गो-तस्करी व बीफ रखने की शंका में अलग-अलग मामलों में 14 लोगों की जान भीड़ ने ले ली।

डायन / ओझा:

एक रिपोर्ट के अनुसार अगर सिर्फ असम का ही आंकड़ा देखें तो 2001-2017 के दौरान 114 महिलाओं और 79 पुरुषों को डायन / ओझा करार देकर उनकी हत्या कर दी गई। इससे पता चलता है कि सोशल मीडिया के व्हाट्सएप जैसे सूचना माध्यमों के आने से पहले भी देश में भीड़ द्वारा हत्याएं होती रही हैं।

भीड़ हिंसा में सज़ा:

भीड़ पिटाई या फिर हत्या कर दे, तो इंडियन पीनल कोड(आईपीसी) की इन धाराओं में केस दर्ज हो सकता है। इनमें सबसे पहले सामान्य कानून है।

इसमें हत्या (302), सदोष मानव वध (304), हत्या का प्रयास (307), चोट या गंभीर चोट पहुंचाना शामिल है।

दूसरा भीड़ से जुड़े कानून, इनमें कॉमन इन्टेंशन (34), गैरकानूनी जमाव (141, 149), आपराधिक साजिश (120बी), दंगा (147, 148) शामिल हैं।

भीड़ हिंसा के मामले में ये सभी कानून एक साथ लागू किए जा सकते हैं। इनमें दोषियों को उम्रकैद से लेकर फांसी तक की सजा का प्रावधान है। मगर अब और भी कड़े कानून बनाने की मांग उठने लगी है।

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