राज्य सभा के हाल के चुनाव के बाद मोदी सरकार ऊपरी सदन में जीएसटी बिल को पास कराने की स्थिति में दिख रही है। सरकार के रणनीतिकारों ने राज्य सभा की नई तस्वीर के हिसाब से गुणा-भाग कर लिया है।
केरल के मुख्यमंत्री पी विजयन ने जीएसटी के समर्थन का ऐलान किया है। लेफ्ट पार्टियों के जीएसटी को समर्थन के साथ ही कांग्रेस इस जीएसटी बिल पर अब पूरी तरह से अलग-थलग पड़ गई है। अब सरकार जीएसटी को मॉनसून सत्र में पास कराने की कोशिश में है।
राज्यसभा के चुनाव के बाद अब NDA सबसे बड़े गठबंधन के रूप में उभरकर आया है। जीएसटी एक संविधान संशोधन बिल है जिसके लिए मतदान के वक्त आधे सदस्यों यानी 123 की उपस्थिति जरूरी है। जबकि बिल पारित कराने के लिए दो तिहाई यानी 164 सदस्यों का समर्थन प्राप्त होना चाहिए। राज्य सभा में सदस्यों की कुल संख्या 245 है।
बीजेपी के पास अब 54 सांसद हैं और इनके सहयोगियों और समर्थित सांसदों की संख्या मिलाकर 81 सांसद राज्यसभा में हैं। तृणमूल कांग्रेस के 12, बीजद के 8, सपा के 19, जदयू के 10,बसपा के 6, नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी के 5, डीएमके के 4, RJD के 3, तेलंगाना राष्ट्रीय समिति के 3 और इंडियन नेशनल लोकदल, इंडियन मुसलिम लीग, झारखंड मुक्ति मोर्चा, केरल कांग्रेस, जनता दल सेक्यूलर और वायएसआर के एक-एक सांसदों को मिला कर कुल 76 सांसद GST के समर्थन में आ चुके हैं और ऐसे में सरकार का GST बिल पास कराने का सपना पूरा हो सकता है।
लेफ्ट के समर्थन से राह होगी आसान
केरल के मुख्यमंत्री पिनारायी विजयन और राज्य के वित्त मंत्री थॉमस इज़ाक ने GST का समर्थन किया है। सीपीएम नेता मोहम्मद सलीम का कहना है कि उनकी पार्टी कॉंग्रेस के साथ नहीं है। उनका कहना है कि अगर सरकार सदन में ये भरोसा दे कि कर दरों को कम रखा जाएगा तो उनकी पार्टी जीएसटी का समर्थन करेगी। लेफ्ट पार्टियों के 9 यानी सीपीएम के 8 और सीपीआई के एक सदस्य का समर्थन भी सरकार को मिल गया है।
हालांकि जयललिता द्वारा GST का विरोध किये जाने के बाद सरकार इसमें कुछ संशोधनों पर विचार कर सकती है और उनको भी साथ मिलाने की पूरी कोशिश करेगी।
आकंड़ो पर नजर डालें तो सरकार को जरुरी 145 मतों से कहीं ज्यादा GST के समर्थन में करीब 179 सदस्यों का साथ मिल सकता है। जिनमें एनडीए के 81 विपक्षी पार्टियों का समर्थित ब्लॉक 76 और लेफ्ट के साथ एआईएडीएमके 22 हैं।
सरकार के लिए जयललिता थोड़ी सी मुश्किल खड़ी कर सकती हैं लेकिन उनके मतदान में शामिल ना होने के बाद की स्थिति में भी सरकार GST के लिए जरुरी बहुमत जुटा सकती है। एआईएडीएमके के 13 सदस्यों के भाग नहीं लेने के बाद कुल संख्या 232 और जरुरी बहुमत की संख्या 155 हो जाएगी। ये संख्या भी सरकार के पास पूरी होती दिख रही है।कांग्रेस को साइडलाइन करने की मोदी सरकार की नीति कारगर होती दिख रही और मोदी सरकार आगामी संसद सत्र में GST पास कराने के लिए पूरी ताकत झोंक सकती है।