राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद के पहले भाषण पर कांग्रेस ने राज्यसभा में जमकर हंगामा किया। कांग्रेस ने महात्मा गांधी की तुलना दीनदयाल उपाध्याय से किये जाने पर आपत्ति जताई।
क्या कहा था राष्ट्रपति कोविंद ने अपने पहले अभिभाषण में-
- राष्ट्रपति पद की शपथ ग्रहण करने के बाद राम नाथ कोविंद ने देश को संबोधित किया।
- अपने पहले संबोधन में उन्होंने कहा कि हमें तेज़ी से विकसित होने वाली अर्थव्यवस्था, एक शिक्षित, नैतिक और साझा समुदाय, सामान मूल्यों वाले और सामान अवसर देने वाले समाज का निर्माण करना होगा, जिसकी कल्पना महात्मा गांधी और दीनदयाल उपाध्याय ने की थी।
- आगे उन्होंने कहा कि ये हमारे मानवीय मूल्यों के लिए भी महत्वपूर्ण है।
- उन्होंने कहा था कि ये हमारे सपनों का भारत है, जो सभी को सामान अवसर सुनिश्चित करेगा।
भड़की कांग्रेस-
- राष्ट्रपति कोविंद द्वारा महात्मा गांधी की तुलना दीनदयाल से करने पर कांग्रेस भड़क गई है।
- बता दें कि कोविंद ने अपने पहले अभिभाषण में आठ नेताओं का ज़िक्र किया था।
- इनमें से छह नेता कांग्रेस से जुड़े थे।
- परंतु देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और महात्मा गांधी का ज़िक्र नहीं किये जाने पार कांग्रेस ने ऐतराज़ जताया।
बिफरे जेटली-
- कांग्रेस के सवालों पर वित्त मंत्री अरुण जेटली बिफर पड़े।
- उन्होंने कहा कि ऐसा कैसे हो सकता है कि कोई राष्ट्रपति के भाषण पर सवाल खड़ा करे।
- इस मामले को लेकर कांग्रेस ने राज्य सभा में जमकर हंगामा किया।
‘बीजेपी के उम्मीदवार नहीं हैं राम नाथ’-
- इससे पहले कांग्रेस सांसद गुलाम नबी आजाद ने राष्ट्रपति के पहले अभिभाषण पर सवाल उठाए थे।
- कांग्रेस सांसद गुलाम नबी आजाद ने कहा कि यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है।
- गुलाम नबी आजाद ने कहा कि राष्ट्रपति ने देश के पहले पीएम नेहरू का नाम एक बार भी अपने भाषण में नहीं लिया।
- उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने अपने भाषण में इंदिरा गांधी और राजीव गांधी नाम भी नहीं लिया।
- आगे उन्होंने कहा कि यह दिल को चुभने वाली बात है।
- उन्होंने कहा कि राम नाथ कोविंद को यह समझना होगा कि वह अब भाजपा के उम्मीदवार नहीं हैं।
संसद के सेंट्रल हॉल में राम नाथ कोविंद ने ली शपथ-
- संसद के सेंट्रल हॉल में शपथ ग्रहण के दौरान राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने अपना पहला संबोधन दिया
- इस दौरान उन्होंने देश में समानता, स्वतंत्रता और बंधुत्व के मूल मंत्र का जिक्र किया।
- इसके बाद उन्होंने अपने संघर्ष की कहानी भी बयां की।
- इस दौरान उन्होंने कहा कि वो राजेंद्र प्रसाद, राधाकृष्णन, एपीजे अब्दुल कलाम और प्रणब दा की विरासत को आगे बढ़ा रहा हूँ।
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