भारत माता की जय व वंदे मातरम के नारे लगाकर दी गई भावभीनी श्रद्धांजलि
जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में गुरुवार को सीआरपीएफ काफिल पर हुए आतंकी हमले में 42 जवान शहीद हो गए हैं। पूरा देश गम के आंसू लिए आक्रोश की आग में जल रहा है। इसके अलावा देश लोगों के दिल में शहीद हुए जवानों के परिवालों के प्रति भी संवेदना फूट रही है। हर कोई अपने स्तर पर जवानों के परिवारों की मदद के लिए घोषणाएं कर रहा है। इसी प्रकार देश के विभिन्न राज्यों की सरकारें भी अलग-अलग मआवजा व नौकरी की घोषणाएं कर रही हैं।
- जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में देश के अब तक का सबसे बड़ा आतंकी हमला हुआ है।
- हमले में 40 जवान शहीद हुए हैं। व
- हीं कई जवान गंभीर रूप से घायल हैं।
- जिसमें अपने पूर्वांचल क्षेत्र के बनारस और चंदौली के दो बहादुर शहीद हो गए।
- दोनों जांबाजों का पार्थिव शरीर शनिवार की सुबह आठ बजे उनके गांव पहुंचा।
- गांव पहंचते ही लोगों ने ‘भारत माता की जय’ के नारे के साथ उनका स्वागत किया।
परिवार की इच्छा के बगैर अंत्येष्टि करने के लिए प्रशासन ले गई शव
शनिवार सुबह जब शहीद जवानों का शव वाराणसी के मोहनसराय पहुंचा तो स्थानीय लोगों ने भारत माता की जय वह वंदे मातरम से नारे लगाकर उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की। लोगों भोर से ही इंतजार कर रहे थे। सीआरपीएफ के जवानों ने अपने वाहनों में रमेश और अवधेश के शव लेकर चौबेपुर और चंदौली के लिए रवाना हे गए। सीआरपीएफ का वाहन बिल्कुल दुल्हन की तरह सजा था। शहीदों के काफिले के आगे-आगे लोग बाइक से शहीदों के अमर रहने के नारे लगा रहे थे। बता दें कि सभी शहीदों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पालम एयरपोटऱ् पर श्रद्धांजलि दी। हर तरफ ‘भारत माता की जय’ की गूंज सुनाई दे रही थी। इसी बीच प्रशासन शहीद की अंत्येष्टि के लिए शव ले जाने लगा तो शहीद के पिता श्याम नारायण ने कहा कि अभी शव मत ले जाइए।
- रमेश का बड़ा भाई रास्ते में है, उसके आने के बाद रमेश का अतिंम संस्कार किया जाए।
- लेकिन परिवार की इच्छा के बगैर अंत्येष्टि करने के लिए प्रशासन शव ले गई।
क्या कहते है शहीद वीर के पिता
पिता ने कहा कि वे श्मशान घाट नहीं जायेंगे। इससे नाराज लोगों ने पुलिस प्रशासन मुर्दाबाद के नारे लगाने शुरू कर दिए। मौके पर पहुंचे मंत्री अनिल राजभर शहीद परिवार को समझाने का प्रयास कर रहे है। वहीं, सपा जिलाध्यक्ष डॉ. पीयूष यादव ने कहा यह मनमानी ठीक नहीं है। परिजनों की राय पर अंतिम संस्कार होना चाहिए।
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भारत माता की जय व वंदे मातरम के नारे लगाकर दी गई भावभीनी श्रद्धांजलि
जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में गुरुवार को सीआरपीएफ काफिल पर हुए आतंकी हमले में 42 जवान शहीद हो गए हैं। पूरा देश गम के आंसू लिए आक्रोश की आग में जल रहा है। इसके अलावा देश लोगों के दिल में शहीद हुए जवानों के परिवालों के प्रति भी संवेदना फूट रही है। हर कोई अपने स्तर पर जवानों के परिवारों की मदद के लिए घोषणाएं कर रहा है। इसी प्रकार देश के विभिन्न राज्यों की सरकारें भी अलग-अलग मआवजा व नौकरी की घोषणाएं कर रही हैं।
- जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में देश के अब तक का सबसे बड़ा आतंकी हमला हुआ है।
- हमले में 40 जवान शहीद हुए हैं। व
- हीं कई जवान गंभीर रूप से घायल हैं।
- जिसमें अपने पूर्वांचल क्षेत्र के बनारस और चंदौली के दो बहादुर शहीद हो गए।
- दोनों जांबाजों का पार्थिव शरीर शनिवार की सुबह आठ बजे उनके गांव पहुंचा।
- गांव पहंचते ही लोगों ने ‘भारत माता की जय’ के नारे के साथ उनका स्वागत किया।
परिवार की इच्छा के बगैर अंत्येष्टि करने के लिए प्रशासन ले गई शव
शनिवार सुबह जब शहीद जवानों का शव वाराणसी के मोहनसराय पहुंचा तो स्थानीय लोगों ने भारत माता की जय वह वंदे मातरम से नारे लगाकर उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की। लोगों भोर से ही इंतजार कर रहे थे। सीआरपीएफ के जवानों ने अपने वाहनों में रमेश और अवधेश के शव लेकर चौबेपुर और चंदौली के लिए रवाना हे गए। सीआरपीएफ का वाहन बिल्कुल दुल्हन की तरह सजा था। शहीदों के काफिले के आगे-आगे लोग बाइक से शहीदों के अमर रहने के नारे लगा रहे थे। बता दें कि सभी शहीदों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पालम एयरपोटऱ् पर श्रद्धांजलि दी। हर तरफ ‘भारत माता की जय’ की गूंज सुनाई दे रही थी। इसी बीच प्रशासन शहीद की अंत्येष्टि के लिए शव ले जाने लगा तो शहीद के पिता श्याम नारायण ने कहा कि अभी शव मत ले जाइए।
- रमेश का बड़ा भाई रास्ते में है, उसके आने के बाद रमेश का अतिंम संस्कार किया जाए।
- लेकिन परिवार की इच्छा के बगैर अंत्येष्टि करने के लिए प्रशासन शव ले गई।
क्या कहते है शहीद वीर के पिता
पिता ने कहा कि वे श्मशान घाट नहीं जायेंगे। इससे नाराज लोगों ने पुलिस प्रशासन मुर्दाबाद के नारे लगाने शुरू कर दिए। मौके पर पहुंचे मंत्री अनिल राजभर शहीद परिवार को समझाने का प्रयास कर रहे है। वहीं, सपा जिलाध्यक्ष डॉ. पीयूष यादव ने कहा यह मनमानी ठीक नहीं है। परिजनों की राय पर अंतिम संस्कार होना चाहिए।