सोशल मीडिया के जरिए बिछड़े लोगों के मिलने की खबर तो खूब सुर्खियों में रही है। अब इसी क्रम में आधार कार्ड भी शामिल हो गया है। सही सुना आपने…आधार कार्ड ने एक बेटे को उसके परिवार से मिला दिया है। देश में जहां यह सभी सरकारी सुविधाओं और जरूरी कामों के लिए अनिवार्य होता जा रहा है। वहीं आधार कार्ड के जरिए एक परिवार को मिली यह खुशी बेहद अनोखी है।
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आधार ने मिलाया परिवार :
- 2 साल पहले अपने 18 साल के जवान मंदबुद्धि बेटे को खो चुके एक मजदूर परिवार को आधार कार्ड ने खोए हुए बेटे से मिलवा दिया।
- खास बात यह रही की कि जिला प्रशासन इन्हें मिलाने का ज़रिया बना लेकिन आधार कार्ड के बिना ये संभव नहीं था।
- जब माता-पिता को खोए बेटे की खबर मिली तो उनके चेहरे पर खुशी की लहर छा गई।
- फिलहाल यह युवक इंदौर से लगभग 1400 किमी दूर बेंगलुरु के एक अनाथ आश्रम में है।
- जिसे लेने के लिए एसडीएम व सामाजिक न्याय विभाग के साथ बेटे के माता-पिता बच्चे को लेने बेंगलुरु रवाना हुए।
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2 साल बाद इस तरह मिला खोया हुआ बेटा :
- इंदौर में खोये हुए बेटे की कहानी बहुत ही रोचक है।
- दरअसल बंग्लुरु के एक अनाथालय में 4 दिन पहले आधार कार्ड बनाने का कैंप लगाया गया था।
- जब एक 20 वर्षीय मंदबुद्धि युवक को मशीन के सामने बैठा कर उसका फिंगरप्रिंट लिया गया।
- इस दौरान जब रेटिना का स्कैन कराया गया तो सॉफ्टवेयर में उसका आधार कार्ड बनना रोक दिया गया।
- जब जांच की गई तो पता चला कि युवक का आधार कार्ड पहले ही बन चुका है।
- आधार कार्ड से पता चला कि युवक इंदौर के निरंजनपुर का रहने वाला है।
- इस पर अनाथालय ने जिला प्रशासन इंदौर से संपर्क किया।
- संपर्क करने पर पता चला कि मजदूर रमेश चंद्र का बेटा नरेंद्र दो साल पहले गुम हो गया है।
- जिसकी रिपोर्ट उन्होंने थाने में भी लिखवाई थी।
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जल्द इंदौर वापस आयेगा खोया हुआ बेटा :
- इंदौर कलेक्टर निशांत वरवडे ने एसडीएम और सामाजिक न्याय विभाग को निर्देश दिए।
- कहा कि बंगलुरु से बच्चे को लाएं और साथ ही उनके माता-पिता से तत्काल मिलिए।
- साथ ही यह भी कहा की प्रशासन अब मंदबुद्धि बेटे की पूरी जिम्मेदारी भी उठाएगा।
- इस दौरान जब मजदूर पिता कलेक्टर से मिले उनकी आंखे नम सी हो गई।
- 2 साल बाद बच्चे की मिलने की खुशी पिता की आंखे बयां कर रही थी।
- आधार कार्ड ने परिवार मिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
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