किसी भी प्रदेश के राज्यपाल का दर्जा पार्टी और दलगत राजनीति से ऊपर होता है. राज्यपाल का पद संवैधानिक पद होता है। एक राज्यपाल के पद की गरिमा कहती है कि वह किसी राजनीतिक दल के स्वार्थ को पूरा करने के लिए कोई काम नहीं करेगा। ना ही उसका मकसद किसी राजनीतिक व्यक्ति को लाभ पहुंचाना होगा। लेकिन मध्य प्रदेश की राज्यपाल आनंदी बेन पटेल का जो वीडियो सामने आया उसने कई सवाल खड़े कर दिये हैं।

चुनावी ज्ञान देती दिखी राज्यपाल आनंदीबेन पटेल:

मध्य प्रदेश की गवर्नर आनंदी बेन पटेल का एक वीडियो सामने आया है जिसमे वे खुले तौर पर वोट मांगते हुए दिखाई दे रही हैं। आनंदी बेन बीजेपी नेताओं से यह कहते हुए सुनी जा रही हैं कि ‘वोट ऐसे नहीं मिलेगा, वोट कैसे मिलेगा, उनके घर जाओगे, कैसे हो बच्चा पूछोगे, तब वोट मिलेगा.’

इस वीडियो में आनंदीबेन पटेल बीजेपी नेताओं को केवल वोट लेने के गुर ही नहीं सिखा रहीं, बल्कि साथ खड़े अधिकारियों पर यह भी कटाक्ष कर रही हैं कि ‘आपको तो वोट लेना नहीं है, वोट तो हमें लेना है.’

दरअसल राज्यपाल आनंदीबेन पटेल सतना जिले की चित्रकूट यात्रा पर गई थीं. इस दौरान वो एयरपोर्ट पर बीजेपी नेताओं और अफसरों से ऐसी बात कहते सुनी गई थीं.

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, इस क्षेत्र में कुपोषण की जानकारी मिलने के बाद राज्यपाल ने बीजेपी नेताओं और जनप्रतिनिधियों को ‘चुनावी ज्ञान’ दी. उन्होंने सतना की महापौर ममता पांडेय से कहा, ‘ऐसे वोट नहीं मिलेंगे. वोट चाहिए तो एक-एक कुपोषित बच्चा गोद लो. उनके घर जाओ और बच्चों के सिर में हाथ फेरो. वरना वोट नहीं मिलेगा.’

राज्यपाल आनंदीबेन पटेल के बयान पर बवाल:

राज्यपाल का यह वीडियो सामने आने के बाद सियासी गलियारों में हंगामा खड़ा हो गया है. कांग्रेस नेता और एमपी के गुना से सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया ने इसे मर्यादा का उल्लंघन बताते हुए उनपर (आनंदीबेन पटेल) बीजेपी के चुनाव प्रचारक होने का आरोप लगाया.

https://twitter.com/JM_Scindia/status/990121172456046592

वहीं एमपी कांग्रेस के नेता और विधायक जीतू पटवारी ने संवैधानिक पद पर बैठे राज्यपाल के इस तरह के चुनावी बयान देने को लोकतंत्र पर हमला करार दिया है.

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